नोटबंदी के बाद जीएसटी लागू करना केंद्र की दूसरी बड़ी भूल : ममता
जागरण संवाददाता, कोलकाता : वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने में अब महज गिन चुने घंटे ही शेष हैं
जागरण संवाददाता, कोलकाता : वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने में अब महज गिन चुने घंटे ही शेष हैं। इस बीच पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से जीएसटी की राह में रोड़े अटकाने की कोशिश शुरू हो गई है। नोटबंदी के बाद अब जीएसटी के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस की ममता सरकार और मोदी सरकार आमने-सामने है। ममता सरकार की दलील यह है कि अर्थव्यवस्था एक जुलाई से जीएसटी अपनाने को तैयार नहीं है और सभी नियमों और प्रक्रियाओं को अधिसूचित करने के लिए अभी कम से कम छह महीने की और मोहलत चाहिए। बुधवार को तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने अपने फेसबुक पर लिखा- नोटबंदी के बाद यह जल्दबाजी केंद्र की एक और बड़ी भूल है। हम शुरू से ही जीएसटी के पक्ष में थे, लेकिन जिस तरह से केंद्र सरकार इसे लागू कर रही है, उसको लेकर हम चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि हमने बार बार आग्रह किया कि जीएसटी को ठीक ढंग से लागू करने के लिए कुछ और समय दिया जाना चाहिए, लेकिन उसे नजरअंदाज किया गया। पूरा कारोबारी समुदाय विशेष तौर पर छोटे और मध्यम श्रेणी के कारोबारी भ्रमित हैं और डरे हुए हैं। इस पहल को कुप्रबंधित ढंग से पेश किए जाने के लिए कुछ ही घंटे बचे हैं और लोग इससे आशंकित हैं।
उल्लेखनीय है कि राज्य में कुछ छोटे और मध्यम उद्योग से जुड़े कारोबारी जीएसटी को लेकर हड़ताल कर रहे हैं। वहीं, राज्य सरकार की ओर से केंद्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिख कर जीएसटी को आगे टालने की मांग किए जाने की बात कही गई है। देश के वाणिज्य संघों की प्रतिनिधि संस्था एसोचैम की ओर से कहा गया है कि लगभग 70 लाख औद्योगिक इकाइयां जीएसटी के लिए तैयार नहीं हैं। कपड़ा व्यवसाई 72 घंटे की हड़ताल पर जा रहे हैं। यही वजह है कि राज्य सरकार इस परिस्थिति में इन कारोबारियों के साथ खड़ी हो रही है।
गौरतलब है कि मंगलवार को अरुण जेटली ने कहा था कि जीएसटी लागू करने में शुरुआती दिक्कतें हो सकती हैं। इन्हें दूर करने के लिए वित्त मंत्रालय में एक वॉर रूम तैयार कर लिया गया है। इसमें कई फोन लाइन और कम्प्यूटर लगाए गए हैं, जहां टेक एक्सपर्ट्स लोगों की परेशानियां दूर करने के लिए मौजूद रहेंगे। इधर, जीएसटी लांच के लिए सरकार बुधवार को पार्लियामेंट में मेगा रिहर्सल भी किया। बता दें कि जीएसटी लॉन्च करने के लिए सरकार ने 30 जून की आधी रात को संसद विशेष सत्र बुलाया है। एक जुलाई से पूरे देश में जीएसटी लागू किया जाएगा। ऐसे में सवाल यह कि यदि तैयारियां अधूरी ही है तो केंद्र सरकार जिम्मेवारियों के साथ जीएसटी लागू करने को तैयार कैसे है?
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केंद्र जबरन लागू कर रहा है जीएसटी: ममता
राज्य ब्यूरो, कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि केंद्र जबरन जीएसटी लागू कर रहा है। केंद्र के जबरन कानून लागू कर देने पर राज्य को भी उसे मानना पड़ेगा। राज्य को केंद्रीय कानून नहीं मानने पर खजाना से कोई रकम खर्च करने की छूट नहीं रह जाएगी। मुख्यमंत्री ने नवान्न से निकलने पर संवाददाताओं द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में यह बातें कही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इसे लागू करने के लिए अध्यादेश लाना पड़ सकता है। जबरन कानून थोपना देशहित में नहीं है। ममता ने कहा कि उन्होंने इसके लिए कुछ समय की मांग की थी लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई। 30 जून को संसद के कार्यक्रम में वित्त मित्रा अमित मित्रा के जाने के सवाल पर ममता ने कहा कि वह जा सकते हैं लेकिन जाने से भी कोई फायदा नहीं है। अमित्र मित्रा की बात तो कोई सुन नहीं रहा है।
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जीएसटी पर संसद सत्र में भाग नहीं लेंगे तृणमूल सांसद
राज्य ब्यूरो, कोलकाता: पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जीएसटी का विरोध करने पर अडिग हैं। ममता ने खुद ही साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी के सांसद जीएसटी लागू करने के लिए 30 जून को आधी रात को बुलाए गए संसद के विशेष संयुक्त सत्र का बहिष्कार करेंगे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सात साल से जीएसटी का जोरदार विरोध किया था और 2014 में सत्ता में आ जाने के बाद वह अचानक लागू करने पर तूल गई। मौजूदा शासन में लगभग 20 अलग-अलग कर हैं। इन करों का एकीकरण कारोबार को बड़ी राहत देगी लेकिन जीएसटी के जल्दबाजी में लागू करने पर अर्थव्यस्था में अराजक स्थिति पैदा हो सकती है।
दवाइया जैसी आवश्यक वस्तुएं पहले से ही कम आपूर्ति में हैं और दूसरी चीजों की कीमतें बढ़ गई हैं। केंद्र सरकार से 1 जुलाई को जीएसटी को लागू करने की अपनी योजना पर पुनर्विचार करने की अपील की गई थी।