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रेडियो के जरिए बातचीत कर रहे भूमिगत गोजमुमो नेता!

जेएनएन, दार्जिलिंग : गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) के भूमिगत नेताओं की रेडियो के जरिए होने वाली बा

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Jun 2017 01:05 AM (IST)Updated: Mon, 26 Jun 2017 01:05 AM (IST)
रेडियो के जरिए बातचीत कर रहे भूमिगत गोजमुमो नेता!
रेडियो के जरिए बातचीत कर रहे भूमिगत गोजमुमो नेता!

जेएनएन, दार्जिलिंग : गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) के भूमिगत नेताओं की रेडियो के जरिए होने वाली बातचीत का पता लगाने के लिए सुरक्षा बलों के साथ मिलकर काम कर रहे हैम रेडियो आपरेटरों ने दूसरे राज्यों व विदेशों से संदिग्ध एवं कोडेड सिग्नल को पकड़ा है। गत 15 जून को गोजमुमो के कुछ नेताओं के ठिकानों पर छापामारी में दो रेडियो सेट की बरामदगी के बाद सुरक्षा बलों एवं खुफिया एजेंसियों को इस बात के सुराग मिले थे कि वे बातचीत के लिए रेडियो सिग्नल का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके बाद हैम रेडियो आपरेटरों को गोजमुमो नेताओं की रेडियो के जरिए होने वाली बातचीत का पता लगाने का काम सौंपा गया था। एक सुरक्षा अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया-'ज्यादातर कोडेड सिग्नल एवं बातचीत नेपाली एवं तिब्बती भाषाओं में हैं। शब्दों को डिकोड करने के बाद पता चला है कि कोई कंसाइनमेंट आने वाला है। बाकी बातें बेहद गोपनीय हैं, जिनका खुलासा नहीं किया जा सकता।' गौरतलब है कि हैम रेडियो ऑपरेटर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं एवं विशेष रेडियो फ्रीक्वेंसी के तहत ऐसी बातचीत के लिए उन्हें लाइसेंस स्वरूप कार्ड मिला हुआ है। हैम रेडियो ऑपरेटरों की एक टीम चौबीसों घंटे रेडियो सिग्नल पर निगरानी रख रही है और भाषा विशेषज्ञों की दूसरी टीम भाषाओं को कोड करने में मदद कर रही है। उक्त अधिकारी के मुताबिक पहाड़ में बेमियादी बंद के मद्देनजर गत 18 जून से इंटरनेट सेवाएं बंद किए जाने एवं खुफिया एजेंसियों द्वारा फोन को टैप किए जाने को देखते हुए गोजमुमो नेता एवं कार्यकर्ता रेडियो के माध्यम से ज्यादा बातचीत कर रहे हैं। पहाड़ में पिछले हफ्ते हुई हिंसक वारदातों के बाद से गोजमुमो के कई शीर्ष नेता भूमिगत हैं। सूत्रों के मुताबिक गोजमुमो ने अपने कैडरों को रेडियो के जरिए बातचीत करने का प्रशिक्षण प्रदान किया है और पहाड़ के विभिन्न इलाकों में अस्थायी रेडियो स्टेशन भी खोला है, जहां से ऐसे सिग्नल भेजे और ग्रहण किए जाते हैं। कुछ ऐसे सिग्नल मिले हैं, जिनसे आभास होता है कि पहाड़ में हिंसा की जो घटनाएं हुईं, वो आक्रोश की वजह से अचानक से नहीं हुई थीं बल्कि उन्हें सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया था। दूसरी तरफ गोजमुमो के महासचिव रोशन गिरि ने ऐसे किसी रेडियो सेट की बरामदगी की खबरों से इन्कार करते हुए इसे पार्टी को बदनाम करने के लिए राज्य सरकार की चाल करार दिया है।


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