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नोट छापने वाले कर्मियों की हिम्मत दे रही जवाब

जागरण न्यूज नेटवर्क, कोलकाता : नोटबंदी के बाद से नए नोट का संकट बना हुआ है। ऐसे में सरकार व भारतीय र

By Edited By: Published: Thu, 29 Dec 2016 01:05 AM (IST)Updated: Thu, 29 Dec 2016 01:05 AM (IST)
नोट छापने वाले कर्मियों की हिम्मत दे रही जवाब

जागरण न्यूज नेटवर्क, कोलकाता : नोटबंदी के बाद से नए नोट का संकट बना हुआ है। ऐसे में सरकार व भारतीय रिजर्व बैंक तीन प्रेस में नोट छाप-छाप कर बैंकों तक पहुंचा रहे हैं। तीन-तीन शिफ्ट में कार्य चल रहा है। अब नोट प्रिंटिंग प्रेस के कर्मचारी भी लगातार काम करने से पस्त होते जा रहे हैं। एक तरफ लोग नोट के लिए बैंकों, डाकघर और एटीएम के बाहर लाइन में खड़े होकर परेशान हो रहे हैं। अब इन नोटों को छापने वाले कर्मचारियों की हिम्मत जवाब देने लगी है। वित्त मंत्रालय ने दावा किया है कि देश के विभिन्न जगहों पर नोट छापने का काम तेजी से किया जा रहा है और आमलोगों को कैश की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ेगा।

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वित्त मंत्रालय के इस दावा को पूरा करने के चक्कर में नोट छापने वाले कर्मचारियों को ओवरटाइम लगाकर काम करना पड़ रहा है। लेकिन उनकी हिम्मत अब जवाब दे रही है। पश्चिम बंगाल के शालननी की मुद्रा प्रिंटिंग प्रेस में नोटबंदी के बाद से लगातार नोटों की छपाई का काम हो रहा है। वहा लोग दिन-रात एक करके काम कर रहे हैं। ऐसे में कर्मचारी लगातार बीमार हो रहे हैं।

परेशान कर्मचारियों ने ओवरटाइम करने से इन्कार कर दिया है। इसके लिए कर्मचारियों के एक वर्ग ने वहा के अधिकारियों को सूचित किया है कि वे नौ घटे से अधिक समय तक काम नहीं करेंगे।

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कर्मचारियों के संगठन ने आरबीआइ को बताई परेशानी

भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (बीआरबीएनएमपीएल) के कर्मचारी संघ ने एक नोटिस जारी करते हुए अधिकारियों से कहा है कि 14 दिसंबर से लगातार ओवरटाइम शिफ्ट में काम करने की वजह से उनके कई सदस्य बीमार पड़ गए हैं।

तृणमूल काग्रेस सासद और संघ के अध्यक्ष शिशिर अधिकारी ने कहा कि मैसूर और शालबोनी में नोटों की छपाई से कई कर्मचारी बीमार पड़ गए हैं। 14 दिसंबर से सभी कर्मचारियों को अधिकारियों द्वारा 12 घटे की शिफ्ट में काम करने के लिए मजबूर किया गया ताकि नकदी की कमी पूरी की जा सके। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के लगातार काम करते रहने से उनके परिवार पर भी इसका उल्टा असर पड़ रहा है।

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