नोटबंदी से मालामाल हुई सरकारी बिजली कंपनी
जागरण संवाददाता, कोलकाता : नोटबंदी के बाद से पूरा देश कैश की किल्लत से जूझ रहा है। कारोबारी जगह मुश्
जागरण संवाददाता, कोलकाता : नोटबंदी के बाद से पूरा देश कैश की किल्लत से जूझ रहा है। कारोबारी जगह मुश्किल दौर से गुजर रहा है। खुद राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नोटबंदी के प्रतिवाद में केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, लेकिन इसी नोटबंदी ने पश्चिम बंगाल राज्य विद्युत आवंटन कंपनी लिमिटेड (डब्ल्यूबीएसइडीसीएल) को मालामाल कर दिया है। लंबे समय से घाटे में चल रही सरकारी बिजली कंपनी के खाते में केवल अक्टूबर में ही 1491 करोड़ रुपये जमा पड़े हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
जानकारी के मुताबिक देशभर में गत आठ अक्टूबर की आधी रात तत्काल प्रभाव से 500 व 1000 रुपये के नोट बंद कर दिये जाने के बावजूद जरूरी जगहों मसलन, टोल टैक्स, सरकारी अस्पताल, बिजली व नगरपालिका-नगर निगमों आदि में पुराने नोट लिये जाने की छूट दी गई थी। यही कारण है कि 500 व 1000 के नोटों को लेकर परेशान लोग बिजली-पानी व प्रोपर्टी टैक्स चुकाने निगम व बिजली कार्यालयों में पहुंचने लगे। इसका नतीजा यह हुआ कि अक्टूबर में ही डब्ल्यूबीएसइडीसीएल के खाते में 1491 करोड़ रुपये जमा हो गये। अधिकारियों की मानें तो नवंबर की पांच तारीख तक यह संख्या 1622 करोड़ तक पहुंच चुकी है। यह आंकड़ा छूने का एक और कारण सरकारी बिजली बिल में वृद्धि भी बताया जा रहा है। गौरतलब है कि डब्ल्यूबीएसइडीसीएल को पिछले वित्त वर्ष यानी 2015 में नवंबर तक बिजली बिल के रूप में केवल 1388 करोड़ रुपये ही जमा हुए थे, लेकिन इस बार यह आंकड़ा 1622 करोड़ पहुंच गया है। यह आंकड़ा और बढ़ भी सकता है।