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उम्मीदों को पंख

अब मुख्यमंत्री के नाते ममता को सर्वप्रथम विधि-व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कारगर कदम उठाना चाहिए। इस चिंता को ममता भी भलीभांति समझ रही होंगी, इसलिए मुख्य एजेंडे में कानून व्यवस्था ही है।

By Atul GuptaEdited By: Published: Sat, 28 May 2016 04:14 AM (IST)Updated: Sat, 28 May 2016 04:17 AM (IST)
उम्मीदों को पंख

पश्चिम बंगाल में दूसरी बार महिला मुख्यमंत्री के रूप में ममता बनर्जी ने शपथ ले ली है। इसके साथ ही ममता का दूसरी बार भी मुख्यमंत्री बनने का सपना भी पूरा हो गया। अब जनता की उम्मीदों के पंख को गति मिलेगी और अपेक्षाओं की पूर्ति होगी, ऐसा सबका अनुमान है। राइटर्स से लेकर नवान्न तक पहुंचने के लिए जिस ढंग से ममता ने जनता दरबार में वामो के खिलाफ आंदोलन किया था उसे जनता का अपार समर्थन मिला।

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ममता की राहें आसान होती गईं। अब जनता की समस्याएं आसानी से दूर होती हैं कि नहीं यह देखने वाली बात होगी। राज्य में पहले से कई समस्याएं हैं। वैसे ममता के इस वादे पर यकीन करने में हर्ज नहीं है कि शपथ लेने के बाद उन्हें अधूरे कार्यो को पूरा करने में अधिक वक्त नहीं लगेगा। ममता शपथ लेने के तुरंत बाद ही नवान्न (मुख्यमंत्री सचिवालय) पहुंचीं और नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक की। माकपा, कांग्रेस व भाजपा नेताओं ने चुनाव बाद की ¨हसा पर मोर्चा खोल रखा है, यहां तक कि तीनों ही दलों के प्रदेश नेतृत्व ने शपथग्रहण समारोह का बहिष्कार किया है।

अब मुख्यमंत्री के नाते ममता को सर्वप्रथम विधि-व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कारगर कदम उठाना चाहिए। इस चिंता को ममता भी भलीभांति समझ रही होंगी, इसलिए मुख्य एजेंडे में कानून व्यवस्था ही है। इसके अलावा दूसरी बड़ी चिंता है बेकारी दूर करने की। 1यूं तो चुनाव प्रचार के दौरान ममता ने कहा था कि साढ़े चार वर्ष में उन्होंने बंगाल में जितना विकास किया है वह कोई भी सरकार 40 साल में भी नहीं कर सकती। ममता की इस कार्यकाल की सबसे बड़ी चुनौती बंगाल को आर्थिक रूप से अपने पांव पर खड़ा करना होगा, जोकि आसान नहीं है।

इसकी वजह है राज्य पर 2.60 लाख करोड़ का ऋण। अल्पसंख्यकों के विकास के लिए किए गए वादों की पूर्ति करनी होगी। सबसे अधिक चिंता इस बात की है कि उम्मीदों को पंख लगाने के लिए धन कहां से आएगा? एक तरफ जहां ममता व उनके मंत्रिमंडल के सदस्य कहते रहे हैं कि खजाना खाली है। ऐसे में जनता की समस्याएं कैसे दूर होंगी। सिर्फ वादे से तो काम नहीं चलेगा। यदि ऐसी ही बात होती तो वामो सरकार ने कम वादे नहीं किए थे, लेकिन जनता ने उसे नकार दिया। जनता की आकांक्षाएं आने वाले दिन में और बलवती होंगी। उन सभी की पूर्ति टेढ़ी खीर है।

वैसे ममता बेहतर करने के लिए प्रयास करेंगी, ऐसी उम्मीद करने में हर्ज नहीं है। अभी कुछ दिनों तक सभी इसके लिए इंतजार करेंगे कि मुख्यमंत्री के एजेंडे में अहम मुद्दे कौन-कौन हैं, उनके समाधान के लिए वह कितनी मेहनत करती हैं? इसके अलावा उद्योग के लिए क्या करती हैं इस पर भी सबकी नजर टिकी है।

(स्थानीय संपादकीय, पश्चिम बंगाल)


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