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मुकुल रॉय को गवाह बना सकती है सीबीआइ

हजारों करोड़ के सारधा चिटफंड घोटाले की जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) तृणमूल नेता मुकुल रॉय को अब गवाह के तौर पर पेश करने की संभावनाओं पर विचार कर रही है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2015 02:25 AM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2015 02:28 AM (IST)
मुकुल रॉय को गवाह बना सकती है सीबीआइ

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। हजारों करोड़ के सारधा चिटफंड घोटाले की जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) तृणमूल नेता मुकुल रॉय को अब गवाह के तौर पर पेश करने की संभावनाओं पर विचार कर रही है। उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सीबीआइ सारधा मामले के साथ तृणमूल कांग्रेस व उसके नेताओं की भूमिका को उजागर करने के लिये मुकुल रॉय को गवाह के तौर पर पेश कर सकती है।

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सीबीआइ का मानना है कि सारधा के पैसों से तृणमूल कांग्रेस का कौन नेता किस हद तक लाभान्वित हुआ अथवा पार्टी फंड में कितने पैसे गए, इन तथ्यों के बारे में तृणमूल के पूर्व महासचिव मुकुल रॉय के पास तथ्यपरक जानकारी हो सकती है। उल्लेखनीय है कि कभी ममता बनर्जी के बाद पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले रॉय फिलहाल तृणमूल से एकदम अलग-थलग चल रहे हैं। उनसे पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सहित संसदीय दल का नेता का पद भी छिन लिया गया है। इसीलिए सीबीआइ अब मुकुल के जरिए इस घोटाले के तार को खंगालने में जुट गई है।

मिली जानकारी के अनुसार, मुकुल को गवाह बनाने को लेकर सीबीआइ की जांच टीम दिल्ली में अपने उच्च अधिकारियों के पास एक प्रस्ताव भेजने पर विचार कर रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि मुकुल रॉय सारधा मामले में गवाह बनते हैं तो राज्य की सत्तारूढ पार्टी के लिये नई मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि तृणमूल के आय-व्यय से संबंधित तमाम तथ्य मुकुल रॉय के पास मौजूद है। इसके अलावा सारधा समूह के साथ किन पार्टी नेताओं के संबंध रहे हैं इस बारे में भी मुकुल रॉय से बेहतर और कोई नहीं जानता। ऐसे में मुकुल रॉय को गवाह बना कर सीबीआइ सारधा घोटाले के आरोपियों के खिलाफ शिकंजा मजबूत करना चाहती है। हालांकि पार्टी के आय-व्यय को लेकर सीबीआइ ने पिछले महीने जब मुकुल रॉय को समन भेजकर पूरा ब्योरा मांगा था, उस समय रॉय ने अपने जवाब में कहा था कि वे पार्टी के महासचिव के पद पर नहीं है, इसलिए ब्योरा नहीं दे सकते।

गौरतलब है कि सीबीआइ तृणमूल कांग्रेस के पार्टी फंड का 2010 से 2014 तक का हिसाब जानना चाहती है। मुकुल के जवाब के बाद सीबीआइ ने तृणमूल के नवनियुक्त महासचिव सुब्रत बक्सी को पत्र भेजकर ब्योरा मांगा था, लेकिन उन्होंने अब तक कोई जवाब दिया। इसको लेकर तीन दिन पहले सीबीआइ अधिकारी ने तृणमूल भवन में सुब्रत को फोन भी किया था, लेकिन वे नहीं मिले। सीबीआइ के फोन पर ममता ने भी कड़ा एतराज जताया था और कहा था कि जिस समय का हिसाब मांगा जा रहा है उस दौरान मुकुल रॉय महासचिव थे, इसलिए वही इसका हिसाब दे सकते। वहीं, आय-व्यय ब्योरे को लेकर सीबीआइ तृणमूल को फिर समन भेजने की तैयारी में है।


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