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आलू निर्यात को सब्सिडी देगी सरकार

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। पिछले साल आलू की कीमतों में तेजी के कारण पड़ोसी राज्यों को आलू की आपूर्ति रोकन

By Edited By: Published: Sun, 15 Mar 2015 04:56 AM (IST)Updated: Sun, 15 Mar 2015 02:27 AM (IST)
आलू निर्यात को सब्सिडी देगी सरकार

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। पिछले साल आलू की कीमतों में तेजी के कारण पड़ोसी राज्यों को आलू की आपूर्ति रोकने वाली ममता सरकार इस साल बंपर फसल होने पर आलू की खपत बढ़ाने के लिए सब्सिडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने को प्रयासरत हुई है। राज्य के कृषि विपणन मंत्री अरूप राय ने कहा कि सरकार ने दक्षिण बंगाल से आलू लदान के लिए 50 रुपये प्रति क्विंटल और उत्तार बंगाल से 100 रुपये प्रति क्विंटल की रेलवे फ्रेट सब्सिडी आलू व्यापारियों को प्रदान करने का निर्णय किया है। इसके अलावा पड़ोसी देशों को जल परिवहन के माध्यम से भेजे जाने वाले आलू के लिए 100 रुपये प्रति क्विंटल की परिवहन सब्सिडी का विस्तार होगा। एक आलू व्यापारी ने कहा कि इस वर्ष उम्मीद से बंपर फसल होने पर राज्य के कुछ व्यापारियों ने बांग्लादेश व श्रीलंका को आलू निर्यात करने की प्रक्रिया पहले से शुरू कर दी है।

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इसके साथ ही राज्य सरकार ने पहली बार बच्चों व महिलाओं के लिए स्कूलों, आंगनबाड़ी और मातृत्व केंद्रों में सरकार द्वारा प्रायोजित मध्यान्ह भोजन जैसी सरकारी योजनाओं के लिए किसानों से आलू की 50,000 टन की खरीद के लिए प्रति क्विंटल 550 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की।

गौरतलब है कि इस साल बंगाल में आलू उत्पादन पिछले साल के 95 लाख मैट्रिक टन के मुकाबले लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 110 लाख मैट्रिक टन हुआ है। इसमें से करीब 40 फीसदी आलू अन्य देशों के अलावा झारखंड, ओड़िशा, बिहार और असम जैसे पड़ोसी राज्यों में भेजा जाता है।

वेस्ट बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के सदस्य पतित पावन दे ने कहा कि बंपर उत्पादन के कारण वर्तमान में आलू की कीमतें थोक स्तर पर 340 से 420 रुपये प्रति क्विंटल है। यह दिसंबर, 2014 के आसपास प्रति क्विंटल करीब 1600-1800 रुपये थी। पिछले वर्ष आलू संकट चरम पर था और दिसंबर, 2014 में आलू की खुदरा कीमत 20-25 प्रति किलोग्राम के मुकाबले फिलहाल 7-8 रुपये प्रति किलो है।

उन्होंने कहा कि निर्धारित लागत जोड़कर देखें तो खुदरा स्तर पर न्यूनतम कीमत प्रति किलो 11 रुपये से कम नहीं होनी चाहिए लेकिन उत्पादन अधिक होने के कारण किसान नुकसान उठाकर आलू बेचने को मजबूर हैं।


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