कल सीबीआइ के समक्ष हाजिर होंगे मदन
जागरण संवाददाता, कोलकाता। सारधा चिट फंड घोटाले की जांच में जुटी सेंट्रल ब्यूरो आफ इंवेस्टिगशन द्वार
जागरण संवाददाता, कोलकाता। सारधा चिट फंड घोटाले की जांच में जुटी सेंट्रल ब्यूरो आफ इंवेस्टिगशन द्वारा दूसरी बार तलब किए जाने के बाद परिवहन मंत्री मदन मित्रा गुरुवार को सीबीआइ के समक्ष हाजिर होंगे। सूत्रों के अनुसार सोमवार को सीबीआइ की तरफ से उन्हें बुधवार को हाजिर होने का निर्देश दिया गया था। मंगलवार को सीबीआइ के जांच अधिकारियों ने फिर दोपहर 12.30 बजे मदन मित्रा को फोन करके गुरुवार की सुबह 10 बजे के बाद सीबीआइ के समक्ष हाजिर होने का निर्देश दिया है। पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे परिवहन मंत्री की तबीयत में सुधार के बाद सीबीआइ की तरफ से उनसे पूछताछ की प्रक्रिया शुरू की गई।
गौरतलब है कि 18 नवंबर को सीबीआइ ने पहली बार मदन मित्रा को तलब किया था। उस वक्त उन्होंने सीबीआइ के समक्ष पत्र के माध्यम से बताया था कि अभी वे अस्पताल में भर्ती हैं। ऐसी स्थिति में वे सीबीआइ के समक्ष हाजिर नहीं हो सकते हैं। इस बीच अपनी इलाज के लिए मंत्री ने कई तरह के नाटक किए। पीठ में ट्यूमर की समस्या को लेकर पहले वे बेल व्यू अस्पताल में भर्ती हुए। फिर इलाज के दौरान ही किसी को बताए बगैर वे एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती हो गए। वहां से तबीयत में सुधार के बाद घर लौटने पर मंत्री ने स्वयं सीबीआइ को फोन करके अपना बयान देने का वक्त मांगा था। तब सीबीआइ की तरफ से उनसे बहुत जल्द पूछताछ करने की बात कही गई थी। इसके बाद अब सीबीआइ उनसे पूछताछ करने जा रही है।
गौरतलब है कि सारधा घोटाले का खुलासा होने के बाद सीबीआइ को परिवहन मंत्री के बारे में कई अहम जानकारियां मिली थी। जिसके तहत पता चला था कि उन्होंने समय-समय पर सुदीप्त सेन से रुपए लिए थे। सीबीआइ की जांच के दौरान परिवहन विभाग के रिकार्ड रजिस्टर में जानकारी मिली थी कि सारधा प्रमुख सुदीप्त सेन ने परिवहन मंत्री को एक गाड़ी दी थी और उसका खर्च भी वह खुद ही वहन करता था। सिर्फ इतना ही नहीं सारधा के मिडलैंड पार्क स्थित आफिस में काम करने वाले कर्मचारियों के साथ की गई पूछताछ में पता चला था कि परिवहन मंत्री रात्रि के समय आए दिन उस आफिस में जाते थे। मंत्री से पूछताछ कर सीबीआइ के जांच अधिकारी मुख्य रूप से यह जानने की कोशिश करेंगे कि वे सारधा के आफिस में क्यूं जाते थे? सुदीप्त सेन ने उन्हें रुपए व गाड़ी क्यों दिए थे?