एनजीओ से होती है आतंकी फंडिंग
जेएनएन, कोलकाता। बर्द्धमान विस्फोट कांड की फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट की जांच में एक और चौंकाने व
जेएनएन, कोलकाता। बर्द्धमान विस्फोट कांड की फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट की जांच में एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। सूचना है कि एनजीओ आतंकी संगठन को रुपये पहुंचा रहे हैं। एफआइयू की पड़ताल में बर्द्धमान विस्फोट मामले में प्रयोग की गई रकम और उसके स्त्रोत का पता लगाया गया है।
इस पड़ताल के मुताबिक तीन एनजीओ, जो अपनी रकम को बांग्लादेश के इस्लामी बैंक ऑफ बांग्लादेश में जमा करते थे और उस रुपये को असम व बंगाल की सीमाओं से बर्द्धमान मॉड्यूल तक पहुंचाया जाता था। भारत ने इस जानकारी को बांग्लादेश की इंटेलिजेंस एजेंसियों के साथ साझा किया है। दोनों ही एजेंसियों को पता चला है कि जमात-ए-इस्लामी, जिसे जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है, ने उसी तरीके का प्रयोग बर्द्धमान विस्फोट में किया, जिसका प्रयोग अलकायदा अपनी आतंकी साजिशों को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए करता है। प्राथमिक तौर पर राबता-अल-अलम-अल-इस्लामी, अल-नाहियां और इस्लामिक हेरिटेज नामक तीन एनजीओ पर शक है, जो बर्द्धमान विस्फोट के लिए रुपये भेजने के जिम्मेदार हैं।
इंटेलिजेंस की मानें तो बंगाल में 2009 से 2012 के बीच करीब 850 करोड़ रुपये भेजे गए। इस रकम का कुछ हिस्सा इस्लामी बैंक ऑफ बांग्लादेश में जमा कराया गया, जबकि कुछ हिस्से को सऊदी अरब कुवैत और मैक्सिको में भेजा गया। कुवैत और मैक्सिको तक पहुंचा रुपया, तीन एनजीओ को मिला। इसमें से एक कुवैत और दो सऊदी अरब के हैं। माना जा रहा है कि इस रकम को हवाला के जरिये जेएमबी को हस्तांतरित किया गया। रुपये का पूरा मैनेजमेंट कौसर को दिया गया था। कौसर फिलहाल फरार है। पूछताछ में कई तरह की जानकारियां हासिल हुई हैं, जिसमें कौसर का नाम कई बार सामने आया है। आरोपियों का कहना है कि कौसर ही वह शख्स है, जो इस पूरी साजिश के लिए रुपये का इंतजाम करता था। भारत को बांग्लादेश की ओर से मिले इनपुट से पता चला है कि जेएमबी एक करोड़ रुपये हथियार खरीदने पर खर्च करता है। संगठन के कार्यकर्ताओं पर वेतन के तौर पर करीब 40 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं। तीन करोड़ रुपये संगठन अपने बाकी खर्चो के लिए रखता है। जैसे ही पैसा बांग्लादेश पहुंचता है, उसे तीनों एनजीओ के सऊदी और कुवैत में बने खातों में डाल दिया जाता है और हवाला के जरिये भारत तक पहुंचाया जाता है।