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सारधा कांड में सीबीआइ ने पेश की पहली चार्जशीट

जागरण संवाददाता, कोलकाता। सारधा चिट फंड घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने बुधवार को बैंकशाल कोर्ट

By Edited By: Published: Thu, 23 Oct 2014 05:54 AM (IST)Updated: Thu, 23 Oct 2014 03:06 AM (IST)
सारधा कांड में सीबीआइ ने पेश की पहली चार्जशीट

जागरण संवाददाता, कोलकाता। सारधा चिट फंड घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने बुधवार को बैंकशाल कोर्ट में अपनी पहली चार्जशीट दाखिल कर दी। राज्यसभा सांसद कुणाल घोष, सारधा समूह के प्रमुख सुदीप्त सेन व निदेशक देवयानी मुखर्जी के खिलाफ पेश की गई चार्जशीट में कई तथ्यों के उल्लेख हैं। इसमें सारधा टूर एंड ट्रैवेल्स, सारधा कंस्ट्रक्शन सहित सारधा समूह की चार कंपनियां के नाम शामिल किए गए हैं। वहीं कुणाल घोष की स्ट्रैटेजी मीडिया का नामक कंपनी का भी नाम चार्जशीट में है।

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सीबीआइ को 90 दिनों के मध्य चार्जशीट को दाखिल करना था। ऐसे में तीन महीने के मध्य ही सीबीआइ ने पहली चार्जशीट को दाखिल कर दिया।

सीबीआइ ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 409 व 420 के सेक्शन 4 व 6 प्राइज चिट एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम एक्ट 1978 के तहत मालदा दायर किया है। ऐसे में सेक्शन 173 सीआरपीसी के तहत आरोपी व वित्ताीय लेनदेन करने वालों के खिलाफ सीबीआइ की जांच जारी रहेगी।

सीबीआइ सूत्रों के अनुसार मामले में कई प्रभावशाली लोगों से भी पूछताछ का रास्ता खुल गया है। इससे पहले गत दिनों दिल्ली में सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा के साथ मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने बैठक की थी। उस दौरान सारधा चिट फंड कांड की जांच कर रहे अधिकारियों ने विभिन्न पहलुओं से वरिष्ठ धिकारियों को अवगत कराया था।

उल्लेखनीय है कि 9 मई को सुप्रीम कोर्ट ने सारधा घोटाले की सीबीआइ जांच का निर्देश दिया था। इसके बाद से सीबीआइ जांच में जुटी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सीबीआइ 90 दिनों के भीतर चार्जशीट पेश नहीं करती तो मामले में गिरफ्तार सुदीप्त सेन, देवयानी मुखर्जी और कुणाल घोष को जमानत मिल जाती।

सीबीआइ के अधिवक्ता ने कहा कि मामले के वृहतर षड्यंत्र का पता लगाने व मामले से जुड़े अन्य अभियुक्तों को गिरफ्तार किए जाने के बाद सप्लीमेंटरी चार्जशीट पेश की जाएगी। यह प्राथमिक चार्जशीट है। वहीं दीवाली की छुंट्टी हो जाने के कारण अब मामले पर सुनवाई छुंट्टी के बाद होगा। हालांकि, जिस अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया गया है, उस अदालत में नहीं बल्कि एक अन्य न्यायाधीश की अदालत में मामले पर सुनवाई होगी।


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