रोजवैली व केकेआर में हुआ था 12 करोड़ का करार
जागरण संवाददाता, कोलकाता। चिटफंड घोटाले में एक के बाद हो रहे खुलासे में इस बार कोलकाता नाइट राइडर्स का नाम सामने आया है। इडी सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2012-13 में केकेआर को रोजवैली कंपनी ने स्पांसर किया था और लेन-देन के इस हिसाब में गड़बड़ी पाई गई है।
जानकारी के अनुसार, केकेआर को प्रायोजित करने वाली मूल कंपनी रेड चिलीज एंटरटेनमेंट के साथ हुए करार की कापी रोज वैली ने इडी को सौंपा है। उस कापी की जांच में पता चला है कि वर्ष 2012-13 में आइपीएल के पांच व छह संस्करण में केकेआर को रोज वैली ने स्पांसर किया था। करार के अनुसार, केकेआर के क्रिकेटरों ने जर्सी पर रोजवैली का लोगो लगाकर खेला था। केकेआर प्रबंधन ने इडेन में रोजवैली के लिए 25 सीटों वाली हास्पिटेलिटी बाक्स भी तैयार किया था।
साथ ही मंदारमनी, लाटागुड़ी और पोर्ट ब्लेयर में रोजवैली के तीन रिसार्ट के विज्ञापन फिल्म में अभिनेता शाहरुख खान व तीन विदेशी क्रिकेटरों ने अभिनय किया था। विज्ञापन फिल्म का निर्माण चित्र निर्माता अनिरुद्ध राय चौधरी ने किया था। केकेआर व रोज वैली के बीच हुए करार की कापी की छानबीन करने पर उसमें इस गड़बड़ी का पता चला।
इडी को कागजातों की जांच में पता चला है कि आइपीएल पांच व छह में स्पांसरशिप के तौर पर रोज वैली ने केकेआर को कुल 12 करोड़ रुपए दिए थे, जिसमें आइपीएल पांच के लिए साढ़े पांच करोड़ व आइपीएल छह में साढ़े छह करोड़ रुपए दिए थे। सूत्रों के अनुसार, जांच टीम को रोज वाली के मालिक यह नहीं बता पाए कि ये रुपए किस एकाउंट से दिए गए थे।
सूत्रों से जानकारी मिली है कि उस लेन-देन में कैश के रूप में मोटी रकम दी गई थी। रोज वैली के विज्ञापन फिल्म को तैयार करने में भी करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे। इडी अधिकारियों को विज्ञापन फिल्म में खर्च किए गए रुपए के बारे में भी जानकारी मिली है। वहीं, इस गड़बड़ी की जांच करने के लिए इडी अधिकारियों ने रेड चिलीज के मालिक को दुर्गा पूजा के बाद तलब किया है।
गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय ने रोज वैली पर निशाना साधा है। ईडी के अधिकारियों ने गत 25 सितंबर को रोज वैली के चेयरमैन गौतम कुंडू व मैनेजिंग डायरेक्टर शिवमय दत्ता के साथ पूछताछ की थी। इससे पहले रोज वैली के चेयरमैन को ईडी के अधिकारियों ने दो बार तलब किया था लेकिन वह ईडी के समक्ष हाजिर नहीं हुए थे। रोज वैली के विभिन्न कार्यालयों में की गई छापेमारी के दौरान जब्त किए गए कागजात व कंपनी के कर्मचारियों के साथ की गई पूछताछ में पता चला है कि कंपनी ने बाजार से अवैध रूप से हजारों-हजारों करोड़ रुपए उठाए हैं। ईडी का अनुमान है कि सारधा की तरह इस कंपनी ने भी सेबी व रजिस्ट्रार आफ कंपनीज के नियमों का उल्लंघन किया है।