बंगाल में आलू व्यवसायियों की बेमियादी हड़ताल शुरू
जागरण संवाददाता, कोलकाता। दुर्गापूजा से पहले एक बार फिर आलू को लेकर संकट की स्थिति पैदा हो सकती है। पुरुलिया समेत कई जिलों में पुलिस अत्याचार व आलू की सही कीमत नहीं मिलने और मुख्यमंत्री द्वारा बैठक नहीं करने से परेशान राज्य के आलू व्यवसायियों ने मंगलवार से बेमियादी हड़ताल शुरू कर दी। हड़ताल से बंगाल समेत पड़ोसी झारखंड, बिहार, ओडिशा और असम में आलू संकट गहराने के आसार बढ़ गए हैं। आलू की कीमत बढ़ने की आशंका से लोग परेशान है।
हालांकि, कृषि विपणन मंत्री अरूप राय ने व्यवसायियों से हड़ताल वापस लेने की अपील की है। वहीं खबर है कि मुख्यमंत्री आलू व्यवसायियों के साथ 12 सितंबर को बैठक को तैयार हो गई हैं। इससे उम्मीद जगी है कि आलू व्यवसायियों की हड़ताल समाप्त हो सकती है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तरफ से आलू व्यवसायियों की समस्या सुनने व उसके समाधान के लिए 12 सितंबर को नवान्न में बैठक बुलाई है।
गौरतलब है कि सोमवार को प्रगतिशील आलू व्यवसायी समिति की ओर से बैठक के बाद मंगलवार से हड़ताल करने की घोषणा की थी। व्यवसायियों का आरोप है कि एक तरफ उन्हें बंगाल में आलू की सही कीमत नहीं मिलती है दूसरी तरफ पुलिस इन व्यवसायियों को हर दिन बेवजह परेशान करती है।
पीएबीएस के प्रदेश अध्यक्ष सांतनू मन्ना ने कहा कि देशभर के खुदरा बाजार में जहां आलू की कीमत औसतन 30 रुपये प्रति किलो है वहीं पश्चिम बंगाल में इसकी कीमत 14 रुपये प्रति किलोग्राम है। पीएबीएस के सचिव बरेन मंडल ने समस्या समाधान को मुख्यमंत्री से बातचीत करने की इच्छा जाहिर की थी। इनका आरोप था कि तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव मुकूल राय ने मुख्यमंत्री के उत्तार बंगाल दौरा से वापस आने के बाद उनके साथ बैठक का आश्वासन दिया था जिसे पूरा नहीं किया गया।
आलू व्यवसायियों की हड़ताल पर राज्य के कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रतिष्ठा के लिए इस विवाद को खड़ा किया है। हड़ताल के बाद बढ़ने वाली आलू की कीमत से गरीब जनता मर जाएगी।
उन्होंने कहा कि मुझे यह समझ में नहीं आ रहा कि मुख्यमंत्री प्रतिष्ठा के लिए आलू व्यवसायियों के साथ क्यों लड़ाई कर रही हैं? इसी तरह अगर हड़ताल लगातार जारी रही तो बाजार में आलू की आपूर्ति कम हो जाएगी और इसका खामियाजा गरीब जनता को ही भुगतना पड़ेगा लेकिन तृणमूल कांग्रेस इस विषय को हल्के में ले रही है। यह हड़ताल मुख्य रूप से आलू व्यापारियों पर पुलिस द्वारा किए जा रहे अत्याचार व समस्या समाधान के लिए मुख्यमंत्री द्वारा बैठक नहीं किए जाने के खिलाफ है।