भाजपा को मजबूत करने अमित शाह पहुंचे बंगाल
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। लोकसभा चुनाव में दो सीटों पर जीत व बंगाल में वोट प्रतिशत बढ़ने से उत्साहित भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सूबे में पार्टी को और मजबूत करने के इरादे से शनिवार शाम दो दिवसीय दौरे पर कोलकाता पहुंचे। उन्होंने राज्य में भाजपा कार्यकर्ताओं पर बार-बार हो रहे हमलों से उत्पन्न वर्तमान स्थिति के अलावा यहां संगठन को मजबूत करने के बारे में पार्टी के पदाधिकारियों से चर्चा की। शाह रविवार को कालीघाट मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए जाने के बाद भाजपा की राज्य कार्यकारिणी के साथ बैठक करेंगे। शाम चार बजे वे बहुबाजार में जनसभा को संबोधित करेंगे।
भाजपा की कमान संभालने के बाद शाह का यह पहला कोलकाता दौरा है। विधानसभा की दो सीटों पर होनेवाले उपचुनाव के मद्देनजर उन्होंने बंगाल का रूख किया है। उनकी नजर 2016 के विधानसभा चुनाव पर हैं जिसमें वह पश्चिम बंगाल की राजनीति में भाजपा को निर्णायक शक्ति बनाना चाहते हैं। उपचुनाव के बाद अगले साल कोलकाता नगर निगम व कुछ स्थानीय निकायों के चुनाव में भी वह भाजपा का बेहतर प्रदर्शन देखना चाहते हैं।
शनिवार को शुरू हुई भाजपा राज्य कमेटी की दो दिवसीय बैठक में प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने वक्तव्य रखा। सिन्हा ने सत्तारुढ़ दल तृणमूल कांग्रेस और सरकार की दमनकारी नीतियों का सामना करने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं से तैयार रहने का आह्वान किया। शाह रविवार को भाजपा राज्य कमेटी के समापन सत्र को संबोधित करेंगे। उसके बाद वह चौरंगी में पार्टी उम्मीदवार रितेश तिवारी के समर्थन में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। सभा के बाद शाम की फ्लाइट से शाह रांची के लिए रवाना होंगे।
गौरतलब है कि भाजपा गत लोकसभा चुनाव में राज्य की दो सीटों पर विजयी हुई थी और उसका वोट प्रतिशत 16.8 फीसद तक बढ़ गया है। भाजपा का आरोप है कि राज्य में उसकी बढ़ती लोकप्रियता से आशंकित सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस बार-बार उनके पार्टी कार्यकर्ताओं पर हमला करा रही है। इन हमलों में उसके कुछ कार्यकर्ता भी मारे गए हैं। इन घटनाओं के मद्देनजर स्थिति का जायजा लेने के लिए भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने अपने नेताओं का एक दल राज्य में भेजा था। इस दल ने बंगाल की स्थिति को गंभीर बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से हालात सामान्य करने के लिए तुरंत जरुरी कदम उठाने की मांग की थी। पांच सदस्यीय दल ने यह आशंका भी जताई थी कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार के तहत यह हिंसा 'शासन-प्रायोजित' हो सकती है।
उन्होंने अपनी रिपोर्ट में यह आरोप भी लगाया कि बंगाल की बांग्लादेश से लगी सीमा वाले क्षेत्र इस्लामिक कट्टरपंथियों का नया गृह बन गए हैं और तृणमूल कांग्रेस सरकार वोट बैंक की खातिर उन्हें संरक्षण दे रही है।