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बस किराया बढ़ाने को तैयार नहीं सरकार

By Edited By: Published: Tue, 12 Aug 2014 05:19 AM (IST)Updated: Tue, 12 Aug 2014 01:44 AM (IST)
बस किराया बढ़ाने को तैयार नहीं सरकार

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बस मालिकों द्वारा किराया बढ़ाने की मांग पर 20-22 अगस्त को 72 घंटा हड़ताल की धमकी देने के बावजूद सरकार बस किराया बढ़ाने को तैयार नहीं हैं। टैक्सी ड्राइवरों की तरह बस मालिकों के भी आक्रामक रुख अपनाने से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी क्षुब्ध हैं।

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नवान्न सूत्रों के मुताबिक परिवहन मंत्री मदन मित्रा ने किराया बढ़ाने पर विचार के लिए जो विशेषज्ञ कमेटी गठित की थी उसने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को दे दी है। हालांकि कमेटी ने बस किराया बढ़ाने के पक्ष में राय दी है। किराया बढ़ाने संबंधी कमेटी की रिपोर्ट की फाइल मुख्यमंत्री सचिवालय में पड़ी है। मुख्यमंत्री दुर्गापूजा के पहले बस किराया बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। राज्य की आम जनता महंगाई से त्रस्त है। मूल्य वृद्धि से राहत देने के लिए मुख्यमंत्री को अन्य राज्यों में आलू भेजने पर रोक लगाने जैसे कठोर निर्णय लेने पड़े हैं। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री नहीं चाहती हैं कि बस किराया बढ़ाने से आम जनता पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़े।

इधर बस मालिकों ने भी सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत दुर्गापूजा के पहले ही आंदोलन पर जाने की तैयारी शुरू कर दी है। 20-22 अगस्त को बस हड़ताल की घोषणा उनकी इसी रणनीति का हिस्सा है। पिछले वर्ष भी बस मालिकों ने दुर्गापूजा के पहले ही किराया बढ़ाने की मांग पर तीन दिनों की हड़ताल की घोषणा की थी। बाद में सरकार के दबाव डालने और किराया बढ़ाने की मांग पर विचार करने का आश्वासन देने पर बस मालिकों ने हड़ताल वापस ले ली थी। उसके बाद से ही बस मालिक सरकार पर किराया बढ़ाने का दबाव डालते रहे हैं लेकिन अभी तक उनकी मांग पूरी नहीं हुई। बाध्य होकर बस मालिकों ने इस बार भी दुर्गापूजा के पहले ही तीन दिनों की हड़ताल की घोषणा कर दी है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री किराया बढ़ाने की अनुमति नहीं देती हैं तो बस मालिक व्यापक आंदोलन शुरू करेंगे।

हालांकि परिवहन मंत्री ने बस मालिकों पर मानसिक दबाव बनाने के लिए नई-नई सरकारी बसें सड़कों पर उतारनी शुरू की हैं जिसमें एसी बसें भी शामिल है। नयी सरकारी बसों का किराया निजी बसों की तुलना में अधिक होने पर सवाल पैदा हुआ है। बस मालिक संगठनों ने कहा है कि नई सरकारी बसों में किराया अधिक है लेकिन सरकार निजी बसों का किराया बढ़ाने के लिए तैयार नहीं है। किराया नहीं बढ़ाने पर अब घाटे में बस चलाना संभव नहीं है।


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