तापस प्रकरण पर सोमवार तक स्थगनादेश
जागरण संवाददाता, कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस सांसद तापस पाल के विवादित बयान के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के निर्देश पर सोमवार तक स्थगनादेश पारित किया है। गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने साफ-साफ कहा कि सोमवार तक पुलिस तापस पाल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाएगी। मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।
गौरतलब है कि तापस पाल मामले में सिंगल बेंच के न्यायाधीश दीपंकर दत्ता ने गत सोमवार को मामले की सीआइडी जांच व 72 घंटे के अंदर एफआइआर दर्ज करने का निर्देश दिया था। उसके बाद राज्य सरकार ने सिंगल बेंच के निर्देश को चुनौती देते हुए न्यायाधीश गिरीश चंद्र गुप्ता व न्यायाधीश तपब्रत चक्रवर्ती के डिवीजन बेंच में मामला दर्ज कराया था। बुधवार को सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने एफआइआर दर्ज करने के निर्देश पर स्थगनादेश लगा दिया था। गुरुवार को स्थगनादेश की अवधि बढ़ाकर आगामी सोमवार कर दी गई।
गुरुवार को डिवीजन बेंच ने सरकारी अधिवक्ता से सवाल किया कि राज्य सरकार ने आरोपपत्र ग्रहण कर पुलिस को जांच शुरू करने का निर्देश क्यों नहीं दिया? सिंगल बेंच की सुनवाई में इस बात को क्यों नहीं उठाया गया? सरकारी पक्ष के अधिवक्ता अनिरुद्ध चंट्टोपाध्याय से न्यायाधीश ने पूछा कि क्या उन्हें नहीं लगता कि यह आवेदन कानूनी सीमा के बाहर है? अधिवक्ता ने जवाब देते हुए कहा कि तापस पाल ने मीडिया के सामने क्षमा मांगी है आवेदन पत्र में इसे संलग्न किया गया है। न्यायाधीश गिरीश चंद्र गुप्ता ने कहा कि फिर तो भाषण के समस्त हिस्से को स्वीकार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि न्यायाधीश दीपंकर दत्ता के निर्देश में जिन-जिन धाराओं को शामिल किया गया है, वे सारे अनुपयोगी है। हम न्यायाधीश समस्या तैयार करने के लिए नहीं, बल्कि समाधान के लिए हैं। जांच में अदालत की निगरानी की क्या जरुरत है? सिर्फ मामला दायर कर पुलिस को जांच का निर्देश देने से ही समस्या का समाधान हो सकता था। मामला करने वालों के अधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार तापस पाल को बचाना चाहती है। इसी कारणवश वह जांच से डर रही है। इसका जवाब देते हुए न्यायाधीश गिरीश चंद्र गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार जांच से भयभीत नहीं हो रही। राज्य सरकार अगर किसी मामले में विरोध नहीं करती है तो विश्व में किसी के लिए कोई विरोध नहीं करेगा। फिर न्यायाधीश तपब्रत चक्रवर्ती ने तापस पाल के बयान का वीडियो फुटेज देखने की इच्छा जाहिर की।
न्यायाधीश गिरीश गुप्ता ने कहा कि पुलिस ने कुछ नहीं किया तो सीआइडी करेगी, यह जरुरी तो नहीं। उन्होंने कई उदाहरण पेश करते हुए कहा कि अगर कोई मां अपने बच्चे को जान से मारना चाहती है तो पृथ्वी को कोई शक्ति उसे नहीं रोक सकती।
सरकारी अधिवक्ता कल्याण बनर्जी से न्यायाधीश तपब्रत चक्रवर्ती ने पूछा कि क्या तापस मामले से आप सहमत नहीं हैं? कल्याण बनर्जी ने कहा कि घटना के अगले दिन ही उन्होंने फेसबुक पर लिखा था कि महिलाओं का सम्मान करना सभ्य समाज का काम है। जो नहीं करते हैं, वे पशु हैं।
सरकारी वकील ने पूछा कि कोर्ट की निगरानी का क्या मतलब है? सवाल-जवाब के बीच में कल्याण बनर्जी ने न्यायाधीश दीपंकर दत्ता के निर्देशनामे की धारा 153 के बारे में कहा कि वे कैसे कानून बनाने वाले की भूमिका निभा सकते हैं? तापस पाल ने जो बयानबाजी की थी, उसकी वजह से कोई घटना नहीं घटी, फिर इतना तत्पर होने की क्या आवश्यकता है? इसके बाद ही एफआइआर समेत सिंगल बेंच के सभी निर्देशों पर सोमवार तक स्थगनादेश पारित किया गया।