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मेधा के साथ चरित्र का सामंजस्य जरूरी : डीजीपी

तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : सूबे के पुलिस महानिदेशक सुरजीत पुरकायस्थ ने कहा कि वर्त

By Edited By: Published: Fri, 19 Aug 2016 02:47 AM (IST)Updated: Fri, 19 Aug 2016 02:47 AM (IST)
मेधा के साथ चरित्र का सामंजस्य जरूरी : डीजीपी

तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : सूबे के पुलिस महानिदेशक सुरजीत पुरकायस्थ ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में देश को सबसे ज्यादा जरूरत मेधा के साथ चरित्र के सामंजस्य की है। आशा है शिक्षा के उच्चतम शिखर को छूने को तैयार युवा उर्जा इस बात का ध्यान रखेगी। मौका था गुरुवार को पश्चिम मेदिनीपुर जिला अंतर्गत आइआइटी-खड़गपुर के 66वें स्थापना दिवस समारोह का। डीजीपी सुरजीत पुरकायस्थ समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक प्रो. पार्थ प्रतिम चक्रवर्ती, विभागाध्यक्ष प्रो. सिद्धार्थ मुखोपाध्याय व रजिस्ट्रार प्रदीप पायन समेत बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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1978 बैच के इसी संस्थान के मैकेनिकल इंजीनिय¨रग विभाग के छात्र रहे डीजीपी पुरकायस्थ ने कहा कि समय के साथ बड़ी संख्या में शिक्षण संस्थान खुल रहे हैं। लेकिन आइआइटी-खड़गपुर की ब्रांड वैल्यू अलग है। मेधा व प्रतिभा के साथ चरित्र निर्माण के सामंजस्य की आवश्यकता पर जोर देते हुए पुरकायस्थ ने सीखने की ललक के महत्व को विशेष रूप से रेखांकित किया। समारोह में पुलिस अधिकारी के तौर पर खुद को आमंत्रित किए जाने को बड़ी बात बताते हुए पुरकायस्थ ने कहा कि प्रशासनिक सेवा में योगदान करने वाले वे पहले आइआइटीयन रहे। शिक्षा और अनुभव का लाभ उन्हें हर क्षेत्र में मिला। मसलन 1995-96 में जब वे कोलकाता पुलिस में डीसी ट्रैफिक थे, तब ट्रैफिक लाइट की विकट समस्या थी। ऐसा माना जाता था लाइट की व्यवस्था में भारी खर्च है, लेकिन प्रयास करने पर जल्द ही समस्या दूर हो गई। इसी तरह इस साल चुनाव से ऐन पहले जब कोलकाता में फ्लाईओवर दुर्घटनाग्रस्त हुआ और सरकार ने इसकी जांच कराने का फैसला किया तो जेहन में सबसे पहले आइआइटी-खड़गपुर का ही ख्याल आया। उन्होंने कहा कि अरसे बाद उन्हें यहां आने का मौका मिला है। पहले आइआइटी परिसर के नजदीक पुरीगेट रेलवे फाटक के दोनों ओर हर समय सैकड़ों रिक्शा व साइकिलें खड़ी रहती थीं, लेकिन फ्लाईओवर बन जाने से बड़ा बदलाव दिखा। अपने संबोधन में आइआइटी के निदेशक प्रो. पार्थ प्रतिम चक्रवर्ती ने कहा कि 66 साल पहले जिस हिजली बंदीगृह में आइआइटी प्रणाली की आधारशिला रखी गई थी। आज यहां बड़े स्तर पर देश के लिए भविष्य का नेतृत्व तैयार हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि मैं स्वयं और आइआइटी गवर्निग बॉडी के अध्यक्ष भी इसी संस्थान के छात्र रहे हैं। समारोह में संस्थान के पूर्व छात्र रहे प्रो. कृष्णेंदु चक्रर्वती को पूर्ववर्ती छात्र अवार्ड 2015 तथा इसरो के प्रो. टी. विट्टो को नीना सक्सेना अवार्ड प्रदान किया गया। वहीं संस्थान के 25 कर्मचारियों को सेवा के 25 साल पूरे करने पर स्मृति चिह्न भेंट किया गया।


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