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डुवार्स के विभिन्न क्षेत्रों में 95 जोड़े शादी के बंधन में बंधे

- विभिन्न स्वयं सेवी संस्था के सहयोग से उत्सव के बीच सामूहिक विवाह का आयोजन - नागराकाटा में 22 जोड़

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 Apr 2017 06:07 PM (IST)Updated: Sun, 30 Apr 2017 06:07 PM (IST)
डुवार्स के विभिन्न क्षेत्रों में 95 जोड़े शादी के बंधन में बंधे
डुवार्स के विभिन्न क्षेत्रों में 95 जोड़े शादी के बंधन में बंधे

- विभिन्न स्वयं सेवी संस्था के सहयोग से उत्सव के बीच सामूहिक विवाह का आयोजन

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- नागराकाटा में 22 जोड़े, वीरपाड़ा में 61 जोड़े एवं मालबाजार में 12 जोड़े शादी के परिणय सूत्र में बंधे

- आर्थिक तंगी के बागानों में नहीं हो रहा था इन जोड़ों का विवाह

जेएनएन, नागराकाटा/वीरपाड़ा/मालबाजार : डुवार्स के विभिन्न इलाके में रविवार को सरहुल उत्सव अर्थात स्वर्ण माता के पूजा के उपलक्ष्य में 95 जोड़े शादी के सूत्र में बंध हो गए। विभिन्न स्वयं सेवी संस्था की ओर से इन जोड़ों का सामूहिक विवाह कराया गया। मालूम हो कि आर्थिक तंगी के कारण ये लोग शादी नहीं पा रहे थे।

नागराकाटा में भी इसी प्रकार से 22 जोड़े शादी के परिणय सूत्र में बंध गए। डुवार्स के चाय बागान में सारना माता पूजन समिति नामक सामाजिक संस्था की ओर से इन जोड़ों का सामूहिक विवाह कराया गया। रविवार को नागराकाटा के मयना खोला मैदान में सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया था।

सूत्रों के अनुसार पिछले चार सालों से नागराकाटा में इस प्रकार का सामूहिक विवाह का आयोजन होता आ रहा है। इस बाद डुवार्स के विभिन्न चाय बागनों से गरीब व असहाय जोड़े इस सामूहिक विवाह में शामिल हुए। इस शादी का पूरा खर्च आयोजककर्ता ने वहन किया। सामाजिक रिजी रिवाज के आधार पर शादी करवा कर इन जोड़ों के हाथ में प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।

सारना माता पूजन समिति की ओर से मुन्ना काछुआ, बाबलू माहालि, विमली ओरांव व बली ओरांव ने बताया कि चाय श्रमिक के अधिकांश रूप से एकसाथ रह रहे थे। आर्थिक तंगी के कारण वे लोग शादी नहीं कर पा रहे थे। यहां तक कुछ शादी ऐसी थी जो ठीक होने के बाद आर्थिक तंग के अभाव में नहीं हो सका।

उनलोगों ने कहा कि इन सब परिस्थितियों को देखते हुए हमलोग इस प्रकार का सामूहिक विवाह का आयोजन करते आ रहे है। वही कार्यक्रम में नागराकाटा के विधायक सुकरा मुंडा भी उपस्थित थे।

उन्होंने कहा कि इस बागान में बहुत से ऐसे जोड़े है। जिनके बेटे की शादी हो चुकी है, लेकिन उसके माता-पिता कभी भी शादी के मंडप में नहीं बैठ सके। इस प्रकार की शादी कर संस्था ने काफी सराहनीय काम किया है।

वीरपाड़ा में भी रविवार को पवित्र मंत्रोच्चारण के साथ वीरपाड़ा सारना एसटी क्लब मैदान में आयोजित सामूहिक विवाह में 61 जोड़े शादी के परिणय सूत्र में बंध गए। कार्तिक ओरांव सरहुल महा उत्सव कमेटी की ओर से 12वें सरहुल उत्सव के उपलक्ष्य में इस दिन मैदान में सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया था। तुलसी पाड़ा चाय बागान के मनोज लोहार ने कहा कि धुमचीपाड़ा चाय बागान में वह लक्षी लोहार से शादी करने के लिए आया है। उनकी पांच साल की एक बेटी है। जीती चाय बागान सुरज ओरांव ने उसी बागान के प्रेमी ओरांव के साथ शादी की। इनका भी इस साल की लड़की है।

उनलोगों ने कहा कि अपनी संतान को समाज में मर्यादा दिलाने के लिए उन्होंने यह शादी की है। सरहुल उत्सव के पूजारी चतुर बराइक ने कहा कि सामूहिक विवाह के साथ उत्सव सामाजिक कार्य भी कर रही है।

सरहुल महा उत्सव कमेटी के अध्यक्ष बुधुआ लाकड़ा व सचिव प्रदीप खालको ने कहा कि हमलोग प्रकृति के पूजारी है। प्रकृति के हर चीज में हमलोग अपने अराध्य देवता को खोजते है। इस बाद कार्यक्रम का 12वां साल है।

कार्यक्रम मेंमदारीहाट के विधायक मनोज टिग्गा, तृणमूल कांग्रेस मदारीहाट ब्लाक के उपाध्यक्ष उत्पल राय सहित अन्य उपस्थित थे।

मालबाजार में भी इस दिन स्वर्ण माता पूजा के उपलक्ष्य में सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया। रविवार को मेटली ब्लाक के इंगडंग चाय बागान में इस पूजा को केन्द्र करके लोगों में खासा उत्साह देखा गया। बागान के जंगल लाइन में पूजा के लिए मंडप बनाया गया। पूजा के उपलक्ष्य में नाच व गान का कार्यक्रम हुआ। पूजा कमेटी की ओर से बलराम बराइक ने कहा कि हर साल बागान में इस पूजा का आयोजन होता है। इस दिन पूजा के उपलक्ष्य में 12 जोड़े शादी के बंधन में बंध गए। मेटली ब्लाक के विभिन्न चाय बागान से अदिवासी संप्रदाय के लोगों ने इस पूजा में हिस्सा लिया।

बिन्नागुड़ी संवाददाता के अनुसार

बानरहाट थाना के तेलीपाड़ा चाय बागान के न्यू लाइन में रविवार कके हर्षोल्लास के साथ आदिवासी सारना दिवस मनाया गया। इस अवसर पर 10 जोड़ी शादी के परिणय सूत्र में बंध गए।

बता दें कि तेलीपाड़ा चाय बागान में पिछले कई वर्षो से इस सामूहिक विवाह का आयोजन हो रहा है। जिसमें जरूरत जुगल जोड़ी व उनके अभिभावक पहुंचते है। जिसके बाद धूमधाम के साथ उनकी शादी कराई जाती है। इस बारे में आदिवासी पुरोहित चैतु ओरांव ने कहा कि चाय बागानों में काम करने वाले मजदूरों के पास उतना पैसा कहां होता है कि वे शादी कर सकें। इसलिए हर वर्ष तेलीपाड़ा चाय बागान के न्यू लाइन में सामूहिक विवाह का आयोजन किया जाता है। जिसका लाभ आदिवासी समाज के लोग उठाते है।


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