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निगमीकरण के विरोध में ज्वाइंट फ्रंट ने किया प्रदर्शन

फोटो-राजेश-10 जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के निगमीकरण

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Feb 2017 08:25 PM (IST)Updated: Wed, 22 Feb 2017 08:25 PM (IST)
निगमीकरण के विरोध में ज्वाइंट फ्रंट ने किया प्रदर्शन
निगमीकरण के विरोध में ज्वाइंट फ्रंट ने किया प्रदर्शन

फोटो-राजेश-10

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जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के निगमीकरण करने की प्रस्ताव को वापस लेने के मांग ज्वाइंट फ्रंट ऑफ सीपीडब्ल्यूडी यूनियन एंड एसोसिएशन, उत्तर बंगाल व सिक्किम शाखा की ओर से लगातार आंदोलन किया जा रहा है। इस मांग को लेकर केंद्रीय स्तर पर भी धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। इस कड़ी में बुधवार को माटीगाड़ा स्थित सीपीडब्ल्यूडी कार्यालय, निर्माण भवन अंतर्गत विरोध प्रदर्शन किया गया। फ्रंट के संयोजक एमके विस्वास ने कहा कि कुछ दिन पहले गु्रप ऑफ सेकरेट्रीज द्वारा सीपीडब्ल्यूडी के निगमीकरण करने का सुझाव प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपा गया था। जिसे पीएमओ द्वारा मंजूर करते हुए इसे शहरी विकास मंत्रालय के भेज दिया गया। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार सीपीडब्ल्यूडी को निजी संस्थाओं के हाथ में देना चाहती है। सीपीडल्यूडी का 163 वर्षो का इतिहास है। यह देश का सबसे बड़ा इंजीनियरिंग विभाग है। निगमीकरण से जहां अनुबंध पर रखे गए लाखों कर्मचारी बेरोजगार होंगे, वहीं इससे देश की सुरक्षा पर भी सवालिया निशान लग जाएगा। इसके द्वारा राष्ट्रपति भवन, नार्थ एंड साउथ ब्लॉक, संसद भवन, दिल्ली का एडवर्ड लुटियन, आइआइटी गांधी नगर, पटना, भुवनेश्वर व जोधपुर, सुप्रीम कोर्ट समेत अन्य महत्वपूर्ण भवनों के निर्माण का कार्य सीपीडब्ल्यूडी द्वारा किया गया है। इसके अलावा सेना के अति महत्वपूर्ण भवनों का निर्माण, बॉर्डर फेंसिंग कार्य, स्पोर्ट्स अथॅरिटी ऑफ इंडिया के अंतर्गत आने वाले निर्माण कार्य व देश के विभिन्न जगहों पर स्थापित केंद्रीय विद्यालयों के भवनों का भी निर्माण कार्य सीपीडब्ल्यूडी द्वारा किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों व देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किसी भी हाल में सीपीडब्ल्यूडी के निगमीकरण नहीं होना चाहिए। गु्रप ऑफ सेकरेट्रीज के रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मांग को लेकर केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को ज्ञापन पत्र भेजा गया है। जब तक सरकार इस मामले में अपना कदम पीछे नहीं खिंचती है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।


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