मिलिए 72 साल के जवान से जो कराटेकार बनने के लिए ले रहे हैं प्रशिक्षण
आइये मिलते हैं 72 साल के जवान आरएन झलानी से। जवान इसलिए कि वे इस उम्र में कराटे सीख रहे हैं। वह भी इस तरह से कि अपने साथ प्रशिक्षण ले रहे बच्चों से ज्यादा तेजी से।
सिलीगुड़ी [राजेश पटेल]। साठा तब पाठा। इस कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं सिलीगुड़ी के ज्योतिनगर निवासी आरएन झलानी। इनकी उम्र 72 साल है, लेकिन फिटनेस ऐसी कि सीख रहे हैं कराटे। वह भी किशोरवय बच्चों के साथ। 16 दिसंबर को येलो बेल्ट के लिए उनकी पहली परीक्षा है, लेकिन उनको पूरा विश्वास है कि इसमें पास होंगे ही।
झलानी मूल रूप से राजस्थान के बीकानेर के रहनेवाले हैं। वे यहां एक चाय बागान में मैनेजर थे। रिटायर होने के बाद फाइनेंस एडवाइडर है। रोज मॉर्निंग वाक पर जाने के अलावा अपनी फिटनेस के लिए योग, ध्यान व अन्य व्यायाम भी करते हैं। किसी ने बताया कि फिट व्यक्ति ही अच्छा कराटेकार बन सकता है। फिर पता लगाकर ज्योतिनगर के ही एक प्रशिक्षण केंद्र में पहुंचे।
वहां के मुख्य प्रशिक्षक 5 डॉन ब्लैक बेल्ट शिहान रोशन सारकी से अपनी इच्छा जताई तो वे चौंक पड़े। कहा कि इतनी उम्र में कराटे का प्रशिक्षण। संभव ही नहीं है। फिर इनकी जिद के आगे सारकी को झुकना पड़ा। सारकी ने बताया कि मात्र ढाई माह के प्रशिक्षण में इन्होंने इतनी सीख लिया है कि पीला बेल्ट की परीक्षा में 75 फीसद से ज्यादा अंक पाने की उम्मीद है।
सारकी के अनुसार इनके शरीर में लचीलापन आ गया है। ये बच्चों से भी तेज सीख रहे हैं। दरअसल इनमें सीखने की ललक बहुत ही ज्यादा है। कैसा भी मौसम हो, हर सुबह सबसे पहले आ जाते हैं। जाते हैं सबसे देर से।प्रतिदिन करीब दो घंटे प्रशिक्षण दिया जाता है। आम बच्चे भी उनकी ऊर्जा को देखकर आश्चर्यचकित होते हैं। झलानी ने बताया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। कराटे सीखने की इच्छा इसलिए हुई कि इससे आत्मरक्षा तो करेंगे ही, शरीर की फिटनेस भी ठीक रहेगी। क्योंकि फिटनेस के लिए इससे अच्छा कोई और चीज है ही नहीं। जो फिट नहीं होगा, वह कराटे सीख ही नहीं सकता। सीखने के दौरान शुरुआती दौर में कुछ परेशानी होती थी, अब शरीर एकदम लचीला हो गया है। दो घंटे की ट्रेनिंग के बाद पूरे दिन फ्रेशनेस भी रहती है।