हिल्स से सकुशल लौटे स्कूली बच्चे
संजय पांच से नौ ---------------------- -बच्चों ने कहा हम पूरी तरह रहे सुरक्षित अभिभावकों ने कहा
संजय पांच से नौ
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-बच्चों ने कहा हम पूरी तरह रहे सुरक्षित अभिभावकों ने कहा लग रहा था डर
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : हिल्स में गोरखालैंड आंदोलन के बीच जारी अनिश्चित कालीन बंद के चलते कई स्कूलों के छात्रावासों में फंसे स्कूली बच्चे शुक्रवार को सकुशल सिलीगुड़ी स्थित अपने-अपने घर पहुंचे।
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा की ओर से शुक्रवार को स्कूली बच्चों को हिल्स से वापस जाने के लिए 12 घंटे की छूट दी गई थी। छूट के बीच स्कूली बसों से बच्चों को सिलीगुड़ी दार्जिलिंग मोड़ के निकट सेविन किंडम लाया गया। वहां पहले से ही नेपाल के विराटनगर, बिहार, कलकत्ता से आए अभिभावक अपने बच्चों को इंतजार कर रहे थे। बच्चे जब वहां बसों से उतरे तो उनके चेहरे पर खुशी देखकर अभिभावकों ने राहत की सांस ली। नेपाल के विराटनगर से आए नागेश कोइराला व डाक्टर पुरु कोइराला ने कहा कि उनकी बच्ची असरेया कोइराला क्लास आठ में पढ़ती है। सेंट पॉल में पढ़ने वाली बच्ची को सिलीगुड़ी पहुंचाने के लिए स्कूल से सूचना दी गयी थी। छात्र अतुल्य कोइराला वर्ग चौथी की छात्र है। बच्चों ने बताया कि उन्हें पता नहीं कि बाहर क्या हो रहा है। स्कूल बंद था वैसे ही वे सभी कभी स्कूल से बाहर नहीं जाते। वे पूरी तरह सुरक्षित थे। नेपाल धरान के विनोद तमांग के साथ जैइला शंकर वर्ग छह का छात्र ने बताया कि रास्ते में बंद और पुलिस को देखकर पता चला कि दार्जिलिंग में आंदोलन के लिए ही स्कूल बंद है। इसलिए उन्हें घर भेजा जा रहा है। पूर्णिया बिहार के सुबोध कुमार सिंह अपने तीन वर्ग में पढ़ने वाले छात्र अंश कुमार सिंह को लेने पहुंचे थे। उन्होंने कह कि उन्हें इस बात की चिंता थी कि आंदोलन में बच्चों के साथ कुछ न हो। आए दिन आंदोलन को लेकर टीवी और मीडिया में जिस प्रकार की ¨हसा की खबर देखने और पढ़ने को मिल रहा था वह चिंताजनक थी। आज यहां पहुंचने पर बच्चे पूरे दिन मस्ती करेंगे। आंदोलनकारियों द्वारा जिस प्रकार की बातें कहीं गई थी ठीक उसका अनुसरण किया गया। इसके लिए वहां के आंदोलनकारियों को धन्यवाद। कलकत्ता से मृणमय नाग अपने क्लास चार में पढ़ने वाले बच्चे अंकुर नाग को लेकर आज ही शाम को कलकत्ता लौटने की बात कही। उन्होंने कहा कि आंदोलन हो परंतु स्कूल कॉलेज और पर्यटन को इससे दूर रखना चाहिए। स्कूली बच्चों को तो नहीं परंतु उसके माता पिता को इस बात की चिंता सता रही है कि न जाने अब स्कूल कब से खुलेगा। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई का क्या होगा? स्कूली बच्चों को लेकर दार्जिलिंग से आने वाली वाहनों को लेकर सुकना से दार्जिलिंग मोड़ तक पुलिस की ओर से सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गयी थी। परिवार