नशा के सौदागरों पर स्वास्थ्य विभाग खामोश
-प्रतिबंधित दवाओं का एक बड़ा रैकेट है उत्तर बंगाल में -हिल्स व सीमावर्ती क्षेत्रों में करते है इसक
-प्रतिबंधित दवाओं का एक बड़ा रैकेट है उत्तर बंगाल में
-हिल्स व सीमावर्ती क्षेत्रों में करते है इसका धंधा
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी: पुलिस तो नशे के सौदागरों को सलाखों में पहुंचा रही है, मगर स्वास्थ्य विभाग कुंभकर्णी नींद में डूबा हुआ है। नशीले पदार्थो की तस्करी पर शिकंजा कसने से अब नशेड़ियों को चिट्टा नहीं मिल रहा है। अगर मिल भी रहा है तो काफी महंगा। तलब पूरी करने के लिए नशेड़ियों अब मेडिकल नशा का सहारा लेना शुरू कर दिया है। स्वास्थ विभाग नशे के सौदागरों पर लगाम कसने की डींगें हांकते नहीं थकता, पर कार्रवाई कोई नहीं की जाती। नतीजतन नशे की बिक्री बेखौफ है। इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि पुलिस तो नशे के खात्मे के लिए जागी है और नशे के सौदागरों को पकड़ रही है, मगर स्वास्थ विभाग की नींद नहीं टूट रही है। आकड़े बताते हैं कि पिछले एक वर्ष में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कहीं पर प्रतिबंधित दवाएं नहीं पकड़ी है। ना ही इसके लिए कहीं छापामारी भी की। हा, इतना जरूर है कि इस अवधि के दौरान प्रधाननगर, भक्तिनगर, एनजेपी, खोरीबाड़ी, नक्सलबाड़ी, बागडोगरा थानों की पुलिस ने जरूर 15 मामले दर्ज कर दर्जनों आरोपियों को पकड़े हैं जब पुलिस ने प्रतिबंधित दवाइयों को पकड़ लेती है तो स्वास्थ्य विभाग क्यों नहीं? इन दिनों इस बात की चर्चा है कि क्या स्वास्थ्य विभाग के संरक्षण में इस प्रकार की दवाओं का खेल हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करते हैं। स्वास्थ्य विभाग अपना दामन पाक-साफ रखने के लिए कागजी कार्रवाई पूरी करके रखती है, लेकिन नशा बेचने वाले मेडिकल स्टोरों पर शिकंजा कसने की जहमत नहीं उठा रहे है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से की जाने वाली कार्रवाई कोरम पूरा करने वाली लगती है, क्योंकि पैसे की लालच में कुछ मेडिकल स्टोर धड़ल्ले से प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आशीर्वाद से करीबन चार दर्जन से अधिक मेडिकल स्टोर ऐसे चल रहे हैं, जिनके खिलाफ कानूनी शिकंजा कब का कसा जा चुका है। बावजूद मेडिकल स्टोर अपना काम कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता से शहर के सार्वजनिक शौचालयों, बंद स्कूलों और जंगल झाड़ में नशेड़ी मेडिकल नशा करके वहीं पर सि¨रज व रेपर फेंक देते हैं। इनकी हालत देखकर लगता है कि वह सार्वजनिक स्थान नहीं बल्कि नशे करने के अड्डे हैं। इसके अलावा नशा छुड़ाओ केंद्र में पहुंचने वाले मेडिकल नशा के आदी युवक ही सारा कहानी बया कर देते हैं कि मेडिकल नशा के बिक्री का गंदा खेल किस तरह खेला जा रहा है। इसमें हिल्स डुवार्स के अलावा बिहार में शराब बंदी के बाद सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रतिबंधित दवाओं का खेल चल रहा है। पूर्व विधायक सह जिला अस्पताल के रोगी कल्याण समिति के अध्यक्ष डाक्टर रुद्रनाथ भट्टाचार्य का कहना है कि प्रतिबंधित दवाओं को रोकने के लिए सरकार की ओर से आवश्यक निर्देश दिए गये है। ऐसा खेल चल रहा है तो इसके लिए जल्द ही युवाओं के साथ जागरुकता बैठक की जाएगी।