जाम का नाम सुनते ही थम जाते हैं पांव
-शहर में चंद मीटर की दूरी तय करने में लग जाते हैं घंटों - यातायात पुलिस जुर्माना वसूल कर समझ लेती
-शहर में चंद मीटर की दूरी तय करने में लग जाते हैं घंटों
- यातायात पुलिस जुर्माना वसूल कर समझ लेती है अपने ड्यूटी की इतिश्री
जागरण संवाददाता,सिलीगुड़ी : सड़क जाम है। इसे सुनते ही कदम स्वत: ही ठिठ्क जाते हैं। शहर में यह लोगों के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। सड़कों की चंद मीटर की दूरी पार करना मुश्किल हो रहा है। सुरक्षित यातायात के लिए तैनात जवान व अधिकारियों का दल जुर्माना वसूली कर अधिकारियों को खुश करने में मगन है। उन्हें जाम और आम लोगों की परेशानी से कोई वास्ता नहीं। वाहनों की खरीद दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। पूर्वोत्तर के प्रवेशद्वार होने के कारण यहां नेपाल, भूटान, असम, बिहार और सिक्किम के आलाधिकारियों और माननीय लोगों का आना-जाना लगा रहता है। सबसे मजे की बात है कि पर्यटन व शिक्षा के साथ स्वास्थ्य का हब भी माना जा रहा है। यहां आने वाले जाम को लेकर अपने मन में क्या विचार लेकर जाते होंगे इसकी ओर किसी आधाधिकारी का ध्यान नहीं है। बढ़ी आबादी को वोट बैंक की तरह हाका जरूर, लेकिन उन्हें बाइपास जैसे सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रयास करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। शहर में ही लगभग लाख तक वाहनों की संख्या है। सड़कों पर वाहनों का बढ़ता बोझ आम आदमी के कदम को रोक रहा है। शहर का अस्पताल चौराहा हो या सभी प्रमुख बाजार। महावीर स्थान, हासमी चौंक, एयरभ्यू मोड़, नया बाजार, खालपाड़ा, विधानमार्केट, कोर्ट मोड़ हो या पानी टंकी। सभी स्थानों पर जाम की समस्या आए दिन बनी रहती है। ऐसे में भारी वाहनों के गुजरने से लोगों को पैदल चलने में भी दिक्कतें होती हैं। दुपहिया हो या चार पहिया। इनकी संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। हर वर्ष वाहनों का पंजीकरण कराने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके अलावा आसपास के जिले के हजारों वाहन प्रतिदिन सड़कों पर दबाव बनाए रहते हैं। काफी अर्से बाद वामो शासनकाल में बाईपास निर्माण हुआ वह भी आज राम भरोसे है। इसकी उचित देखरेख की आवाज आवाज बुलंद हो रही है, लेकिन माननीयों के एजेंडे में यह सिर्फ चुनाव के समय ही आता है। सड़कें गलियों की मा¨नद सिकुड़ती जा रही हैं। इन पर निकलना मुश्किल हो रहा है। जाम के झाम में कब लोग फंस जाएं इसके गवाह खुद माननीय भी होते हैं। परंतु उनकी परेशानी कुछ समय के लिए होती है क्योंकि उन्हें पुलिस व यातायात वाले तुरंत परेशानी से बचा लेते है। जाम का सजा भोगने के लिए मजबूर है तो आम जनता। यातायात डीसीपी सुनील यादव करते है समस्या है इससे इंकार नहीं किया जा सकता। इसके समाधान के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया है।