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जल संरक्षण: बूंद बूंद बचाने का लिया संकल्प

गण के तंत्र फोटो संजय -प्राकृतिक संसाधनों और संस्कृतियों पर ही निर्भर है मनुष्य का अस्तित्व -क

By Edited By: Published: Tue, 24 Jan 2017 08:25 PM (IST)Updated: Tue, 24 Jan 2017 08:25 PM (IST)
जल संरक्षण: बूंद बूंद बचाने का लिया संकल्प
जल संरक्षण: बूंद बूंद बचाने का लिया संकल्प

गण के तंत्र फोटो संजय

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-प्राकृतिक संसाधनों और संस्कृतियों पर ही निर्भर है मनुष्य का अस्तित्व

-कुछ कर गुजरने के लिए मौसम नहीं मन में संकल्प होना चाहिए

अशोक झा, सिलीगुड़ी : जल ही जीवन है। बूंद-बूंद पानी की बचत करके ही समंदर भरा जा सकता है। अनिमेष बसु अपनी इस सोच को लक्ष्य बनाकर पानी की कमी को दूर करने के लिए लंबे अर्से से लोगों को जागरूक कर रहे हैं। बसु का कहना है कि कुछ कर गुजरने के लिए मौसम नहीं मन चाहिए। मन हमारा सबका जल संरक्षण में लगना चाहिए कि हम पानी बचाएं। ऊपरी तौर पर नहीं सरकार कानून बना सकती है, लेकिन जनजागरण या मन बनाने का काम निचले स्तर पर जरूरी है। समाज को जागरूक करना होगा। जल हमारा प्राकृतिक संसाधन है। मनुष्य और संस्कृतियों का अस्तित्व इस पर निर्भर है। आज पढ़े-लिखे लोग पानी की बर्बादी करते हैं। वे फिर चंद पंक्तिया कहती हैं कि कुछ नहीं होगा कोसने से अंधेरों को अपने ही हिस्से का दीया खुद ही जलाना होगा। जल संरक्षण की मुहिम चलाकर लोगों को जागरूक करें। वातावरण व परिवेश के लिए जल संरक्षण जरूरी है। जल हमारा प्राकृतिक संसाधन ही नहीं हमारा देवता भी है। जल से आचमन किया जाता है। हम पूजा में जल का कलश रखते हैं ऐसी स्थिति में हम जल की बर्बादी कैसे कर सकते हैं। वे शहर, गाव से लेकर घर और बाहर तक लोगों को अपना संदेश देते है। वे की बूंद-बूंद पानी की बचत से समंदर भरने की बात किया करते हैं। पहले वे गुरु रविंद्र के गीत एकला चलो की राह पर इसे सार्थक करने की कोशिश करते रहे। जब वे आगे बढ़े तो उसके साथ एक पूरा कारवां इन दिनों इस काम में लग गया है। वे हिमालयन नेचर एंड एडवेंचर फाउंडेशन के संयोजक है। उत्तर बंगाल में पढ़े लिखे अनिमेष बसु पहाड़,नदियां और जंगल को बचाने की मुहिम चलाते है। यही नहीं घर से निकलते ही जहा टोटियों से पानी निकलता दिखाई देता है वहा पानी की टोटी को वह खुद बंद कर दिया करते हैं। इसपर भी जब पानी का दुरुपयोग नहीं बंद हुआ तो वे प्रत्येक घरों के सामने बोर्ड लगाया जिसे सुबह उठकर देखने पर लोगों को पानी के बचत की याद आती रहे। गाव के कई लोगों से जरूरत के मुताबिक पानी खर्च करने की सलाह देते हैं। यदि कोई ग्रामीण हैंडपंप को तेजी से चलाकर पानी निकाल रहा होता है तो उसे यह कहकर पानी निकालने की बात करते हैं कि आसानी से हैंडपंप चलाओ ताकि सुरक्षित रहे। पानी की किल्लत को देखते हुए वन क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों में ¨सचाई कर रहे किसान मजदूर को पानी की बचत की सीख देते हैं। बसु कहते हैं कि फसल की ¨सचाई करते समय पर इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अनावश्यक पानी बरबाद न हो और फसल को उसकी जरूरत के अनुसार पानी मिले। खेती में भी पानी बचत की मुहिम चलाया करते हैं, ताकि सभी को बचत के लिए आगे बढ़ने की सलाह को बढ़ावा देने की कोशिश को मजबूती मिले। इसलिए कदम से कदम मिलाकर चलने की आवाज बुलंद होगी और पानी बचत को बल मिलेगा। बसु का कहना है कि वे युवाओं और स्कूली बच्चों के बीच जलसंरक्षण बहुत जरूरी है। कहते है कि हमें कल के लिए जीवन (जल) बचाना होगा।


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