जनता को मौलिक अधिकारों से अवगत कराना ही जीवन का लक्ष्य
तंत्र के गण का लोगो लगेगा ---------------- -67 साल बाद भी लोग अधिकारों से है वंचित - ऐसे लोगों
तंत्र के गण का लोगो लगेगा
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-67 साल बाद भी लोग अधिकारों से है वंचित
- ऐसे लोगों का एपीडीआर कर रहा है सहयोग
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : भारत एक गणतांत्रिक देश के रूप में अपने स्वरूप को 66 साल से जिंदा रखे हुए है। जिसे सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। लेकिन हकीकत कुछ और ही है। लोग अब भी रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी अपनी मूलभुत सुविधाओं से वंचित हैं।
अगर लोग अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाते हैं, तो पुलिस उन पर अत्याचार करती है। देश के अन्य भागों की तरह उत्तर बंगाल व सिलीगुड़ी के लोग भी इस प्रकार के अत्याचार से अछूते नहीं है। चाय बागानों में अब भी लोग खानाबदोश जीवन जी रहे हैं। भूख, कुपोषण व चिकित्सा सुविधा को तरस रहे हैं। ऐसे लोगों को न्याय दिलाना व उन्हें अधिकारों के बारे में जागरूक करने का सक्रिय प्रयास ऑल प्रोटेक्शन डेमोक्रेटिक राइट (एपीडीआर) कर रहा है। दार्जिलिंग जिला एपीडीआर के अध्यक्ष असीम अभिरंजन भादूरी एपीडीआर के माध्यम से शोषित लोगों को अधिकारों के बारे में जागरूक करने व शोषण के विरूद्ध आवाज उठाते रहे हैं।
राइट-टू-लाइफ की लड़ाई जारी
देश में 'राइट टू लाइफ' (जीवन के अधिकार) को पूर्ण रूप से लागू नहीं हो पाया है। जिसकी लड़ाई एपीडीआर लड़ रही है। करोड़ों लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन समेत अन्य ऐसे कई जगह मिल जाएंगे। जहां कई लोग रात अपने परिवार के साथ खुले में व्यतीत करते हैं। केंद्र सरकार अंतरिक्ष की खोज पर अरबों रूपये खर्च कर रही है, लेकिन लोगों को मूलभुत सुविधाएं देने के प्रति गंभीर नहीं। संविधान में नागरिकों को बहुत से अधिकार दे दिए गए हैं। दूसरी ओर से उपधारा लगाकर अधिकारों को संकुचित कर दिया गया है। 13-14 वर्ष पहले माटीगाड़ा की एक महिला पर पुलिस वालों ने अत्याचार किया था। महिला अपनी जान बचाने के लिए पुलिस की गाड़ी से कूद गई। जिसकी लड़ाई एपीडीआर अब भी लड़ रही है। इसी तरह की घटना 1999 में प्रधाननगर फांड़ी में घटी, जब पुलिस कर्मियों द्वारा 14 वर्षीय व नौ वर्षीय सगे भाई को सिलीगुड़ी जंक्शन से उठाकर उनकी बुरी तरह से पिटाई कर दी। पिटाई से 14 वर्षीय बालक की मौत हो गई। पुलिस वाले अब तक न तो उसके उठाए जाने की वजह ही बता पाए और घटना की जानकारी उन बच्चों के परिजनों को दी। जब एपीडीआर की ओर से उठाई गई और सीबीआइ जांच हुई। तब कहीं जाकर पुलिस वालों पर कार्रवाई हुई। मुकदमा अब भी कोर्ट में लंबित है। सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में चिकित्सकीय लापरवाही से हुई छह वर्षीय सरफराज के मौत मामले की लड़ाई लड़कर उसके परिजनों को न्याय एपीडीआर द्वारा दिलाए गए। कोर्ट ने उसके परिजनों को एक लाख रूपये क्षतिपूर्ति देने का आदेश प्रशासन को दिए। चक्रवर्ती ने बताया कि उनका लक्ष्य लोगों को अधिकारों के बारे में जागरूक कर उनकी सेवा करना है।