स्वयं के महत्व को सिद्घ करने के लिए स्वयं की पहचान जरूरी
फोटो-राजेश-चार से 10 तक संस्कारशाला- घर हो या बाहर कार्य करने का दायित्व एक व्यक्ति विशेष तक सी
फोटो-राजेश-चार से 10 तक
संस्कारशाला-
घर हो या बाहर कार्य करने का दायित्व एक व्यक्ति विशेष तक सीमित नहीं होना चाहिए : देबयानी साहा
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : स्वयं के महत्व को सिद्ध करने के लिए स्वयं की पहचान जरूरी है। एक महिला व शिक्षिका होने के नाते मैं कह सकती हूं कि मैं स्वयं के महत्व को सिद्ध करते हुए अपने परिवार, बच्चे व स्कूल तथा विद्यार्थियों के प्रति न्याय कर पार रही हूं। पहले महिला का रोल सीमित होता था। अब महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि मैं सब कुछ कर सकती हूं। महिला आर्थिक, सामाजिक व राजनैतिक हर क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका निभा रही हैं। महिलाए अंतरिक्ष से लेकर लेबोरेट्री व डॉक्टर से लेकर शिक्षा तक हर क्षेत्र में सफलता अर्जित कर रही हैं। उन्हें अगर प्रोत्साहन मिले तो और आगे बढ़ सकेंगी। परिवार के हर व्यक्ति को हर काम करना चाहिए, वह महिला हो अथवा पुरुष। ऐसा बंधन नहीं होना चाहिए कि ये कार्य महिला का है, तथा ये कार्य पुरुष का है।
देबयानी साहा, प्रधानाचार्य, बीएसएफ सीनियर सेकेंड्री स्कूल, कदमतल्ला, सिलीगुड़ी
जबसे पृथ्वी का विकास हुआ है, तबसे हर व्यक्ति स्वयं को महत्व देते हुए अपने कार्य को किए हैं। ज्ञान व अविस्कार की शुरूआत स्वयं से की है, जो धीरे-धीरे पारिवारिक, सामाजिक स्तर तक चलता गया। मेरा मानना है कि इंसान को सबसे पहले स्वयं की पहचान होनी चाहिए। स्वयं की पहचान होगी, तो आप किसी भी चीज का विकास या लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते हैं। अगर हम स्वयं को ही नहीं पहचान पाएंगे, तो संसार को भी नहीं पहचान पाएंगे।
रामनाथ झा, शिक्षक, बीएसएफ सीनियर सेकेंड्री स्कूल, कदमतल्ला, सिलीगुड़ी
सीमाओं पर रहने वाले लोग जिस निष्ठा व नि:स्वार्थ भाव कार्य करते हुए अपनी शहादत देते हैं, ऐसे में दैनिक जागरण समूह द्वारा शुरू की गई पहल 'एक दीये शहीदों के नाम' कार्यक्रम, इससे बड़ी श्रद्धांजलि कुछ नहीं हो सकती।
अगर व्यक्ति इमानदारी से मंथन करे, तो पाएगा कि स्वयं से बेहतर कोई मित्र नहीं होता तथा स्वयं से बेहतर कोई आलोचक नहीं होता। मैं एक शिक्षा के पेशे में अपने को पाते हुए मैं कह सकती हूं, कि अपने मां व पति के सहयोग मैं ऐसे रुढि़वादी परिवार से थी, जहां एक लड़की को घर से निकलना मुश्किल था। ऐसी स्थिति में मां ने परिवार से विद्रोह कर मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद मैं फिर पीछे मुड़कर नहीं देखी। उसी को देन है कि आज मैं आत्म विश्वास से यहां बोल पा रही हूं, तथा स्वयं को परिभाषित नहीं कर पा रही हूं।
हालांकि महिलाएं स्वयं की पहचान बनाने में अपने संस्कार भूलते जा रही हैं। अपने घर परिवार से दूर होती जा रही हैं, ऐसी स्थिति में स्वयं को महत्व देते हुए परिवार के दायित्वों को भी निभएं।
विजय ज्योत्सना त्रिपाठी, शिक्षिका, बीएसएफ सीनियर सेकेंड्री स्कूल, कदमतल्ला, सिलीगुड़ी
अगर मैं स्वयं के महत्व में हाउस वाइफ तक अपने आप को सीमित रखती, तो मैं परिवार, संतान व पति को क्वालिटी टाइम नहीं दे पाती। मेरे संतान को दाई पाली है, इसका मुझे कोई मलाल नहीं है। मैं स्वयं की पहचान करते हुए इस मुकाम तक पहुंची हूं, जिसके परिणाम स्वरूप आज मैं अपने संतान व परिवार व शिक्षा के पेशे के साथ न्याय कर पा रही हूं। जो समय मिलता है, इसे मैं अपने मैं अपने संतान व परिवार के साथ व्यतीत करती हूं। आज के दौर में स्वयं गुम होता जा रहा है। परिवार स्वयं में उलझ कर रह गया है। स्वयं के महत्व को बनाए रखने के लिए स्वयं को समय देना होगा।
पिंकी गुप्ता, शिक्षिका, बीएसएफ सीनियर सेकेंड्री स्कूल, कदमतल्ला, सिलीगुड़ी
सपने देखना इंसान के लिए बहुत जरूरी है। सपनों को पूरा करने के लिए गुण भी होने चाहिए। इसके लिए सबसे पहले संयम होना होना बहुत जरूरी है। एक लड़की व छात्रा होने के नाते कह सकती हूं कि किसी भी कार्य को पूरा करने में मेहनत, लगन व संयम होना चाहिए। लड़कियों के अंदर आत्म विश्वास होना चाहिए कि किसी से कम नहीं हैं, अगर उनके अंदर स्वयं की इच्छा शक्ति है, तो वे कुछ भी कर सकती हैं।
प्रीति बर्मन, छात्रा, बीएसएफ सीनियर सेकेंड्री स्कूल, कदमतल्ला, सिलीगुड़ी
मैं एक छात्र व युवा होने के नाते कह सकता हूं कि युवा पीढ़ी देश को नेतृत्व देने में सक्षम है। अगर सही ढंग से अपने क्षमता का उपयोग किया जाए, तो मेरा देश किसी भी देश से पीछे नहीं रहेगा। हम देश व राष्ट्र भक्ति में पीछे न रहें, इसके लिए सभी को प्रयास करना चाहिए। अपने कार्य को पूरे लगन व शिद्दत से करना चाहिए। हम सिर्फ कर्म करें, परिणाम स्वयं अच्छे आऐंगे। स्वयं को समाज व देश की सेवा में लगाने के लिए सोचना चाहिए। महिलाओं का इज्जत करना चाहिए, जो आज के समय में कम देखने को मिल रहा है। महिला व पुरुष में भेद-भाव किए बगैर कार्य करेंगे, तभी देश आगे बढ़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रास्ते पर चलते हुए हमें स्वयं स्वच्छता पर ध्यान देना चाहिए।
सौरभ कुमार ओझा, छात्र, बीएसएफ सीनियर सेकेंड्री स्कूल, कदमतल्ला, सिलीगुड़ी
मैं स्वयं को भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे मानव के रूप में जिंदगी मिली है। इसके लिए मैं भगवान व माता-पिता का शुक्रगुजार हूं। अगर हमें कुछ बनना है, तो जीवन को प्रत्येक पल सही ढंग से जीना चाहिए। पैसा ही सब कुछ नहीं है। सब सुख सुविधा पैसे से ही नहीं मिलता, इसे ध्यान में रखना चाहिए। मैं अपनी तुलना किसी से नहीं करता हूं, और किसके पास क्या है तथा मेरे पास नहीं है, इसे मैं देखता भी नहीं हूं। जो मिलता है, उसी में संतुष्ट रहता हूं। हमें स्वयं में अपनी पहचान बना कर चलना चाहिए। जब स्वयं की पहचान बनाएंगे, तभी समाज में अपनी पहचान बनेगी।
विकास कुमार, छात्र, बीएसएफ सीनियर सेकेंड्री स्कूल, कदमतल्ला, सिलीगुड़ी