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'प्राकृतिक नहीं, मानव निर्मित है पानी की समस्या'

संवाद सूत्र, कालिम्पोंग : शहर में पेयजल की समस्या प्राकृतिक नहीं, मानव निर्मित समस्या है। जिसे विभाग

By Edited By: Published: Wed, 27 Apr 2016 10:00 PM (IST)Updated: Wed, 27 Apr 2016 10:00 PM (IST)
'प्राकृतिक नहीं, मानव निर्मित है पानी की समस्या'

संवाद सूत्र, कालिम्पोंग : शहर में पेयजल की समस्या प्राकृतिक नहीं, मानव निर्मित समस्या है। जिसे विभागीय अधिकारियों, ठेकेदारों आदि ने अपना व्यवसाय चलाने के लिए उत्पन्न किया है। उक्त उद्गार माकपा के वरिष्ठ नेता तारा सुन्दास ने व्यक्त किए। वह पेयजल संकट के मुद्दे पर बुधवार को स्थानीय पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बात कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि गांव-बस्तियों के नागरिकों पर टैपिंग का आरोप लगाने वाले स्वयं मुख्य पाइप से टैपिंग करते हैं। टैपिंग आखिर हो किसके इशारे पर रही है। सुन्दास ने विभागीय अधिकारियों को टैपिंग की लाइन खुलवाने एवं इसमें सम्मिलित कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की चुनौती दी व कहा कि इसके माध्यम से विभागीय कर्मचारी 50 हजार रुपये तक प्रतिमाह कमाते हैं। उन्होंने डेलो झील की टंकी से टैपिंग की फोटो दिखाते हुए विभाग पर झूठ बोलकर समस्या को पीठ दिखाने का आरोप लगाया व कहा कि पेयजल की व्यवस्था के लिए जीटीए ने 5.85 करोड़ रुपये दिए थे। जिसमें से 88 लाख रुपये टंकी की मरम्मत, 2.34 करोड़ रेली थुकचुक से पानी लाने पर खर्च किए जाने की रिपोर्ट विभाग ने दी है। जब पानी ही नहीं है, तो टंकी बनाने की क्या जरूरत। माकपा नेता ने सन 1995 से पेयजल संकट को लेकर प्रकाशित खबरें दिखाते हुए कहा कि सन 2002 से अब तक पीएचई, पानी की कमी का रोना रोता रहा है, परंतु अब तक कोई ठोस पहल नहीं की। उन्होंने जीटीए को वाहनों से पेयजल वितरित करने की बजाय स्थायी समाधान तलाशने की सलाह दी व कहा कि इनरुट विलेज स्कीम का पैसा कहां जा रहा है। सुन्दास ने व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी।


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