पानीघाटा चाय बागान : मालिक को 17 फरवरी तक बागान खोलने का निर्देश
संवाद सूत्र, मिरिक : तीन माह से बंद चल रहे तराई के पानीघाटा चाय बागान के श्रमिकों के लिए शुक्रवार के
संवाद सूत्र, मिरिक : तीन माह से बंद चल रहे तराई के पानीघाटा चाय बागान के श्रमिकों के लिए शुक्रवार के दिन राहत भरी खबर आई। सूबे के श्रम मंत्री मलय घटक की पहल पर कोलकाता में ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों एवं बागान मालिक शंकर सर्राफ के बीच हुई त्रिपक्षीय वार्ता में बागान मालिक को 17 फरवरी तक बागान खोलने का निर्देश दिया गया है। उक्त जानकारी गोजमुमो के ट्रेड यूनियन दार्जिलिंग तराई डुवार्स प्लांटेशन लेबर यूनियन के महासचिव सूरज सुब्बा ने दी है।
उन्होंने कहा कि बैठक में श्रम मंत्री मलय घटक ने बागान खोलने के लिए 17 फरवरी तक फंड की व्यवस्था करने के साथ ही श्रमिकों की दिहाड़ी का भुगतान 10 फरवरी को करने एवं 11 फरवरी को कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया। सुब्बा ने कहा कि घटक ने 17 फरवरी तक उक्त निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित ना किए जाने की दशा में सरकार 18 फरवरी से कानूनी प्रक्रिया शुरू करने को विवश होगी। उन्होंने कहा कि बागान 10 अक्टूबर से बंद है। ऐसे में मालिका को 32 सप्ताह का राशन, दिहाड़ी एवं एक कर्मचारियों को एक माह का वेतन देना होगा। बागान मालिक ने अपनी आर्थिक स्थिति नाजुक होने का उल्लेख करते ये सारी सुविधाएं देने में असमर्थता व्यक्त की थी, परंतु सरकार ने अब 17 फरवरी तक की समय सीमा निर्धारित कर दी है। यूनियन के महासचिव सुब्बा ने कहा कि त्रिपक्षीय वार्ता में मंत्री घटक के अलावा संयुक्त श्रमायुक्त, बागान मालिक एवं यूनियन की ओर से उनके साथ ही पानीघाटा शाखा समिति के उपाध्यक्ष गोरे तमांग उपस्थित थे।
गौरतलब है कि पूजा के बोनस की आस लगाए बैठे पानीघाटा चाय बागान के श्रमिकों की उम्मीदों एवं खुशियों पर उस समय पानी फिर गया था, जब प्रबंधन ने अनिश्चित काल के लिए बागान बंद करने की नोटिस अचानक चस्पा कर बागान बंद कर दिया था। बोनस आज तक नही मिला। पूजा ही नहीं, श्रमिकों की दीपावली भी अंधेरे में गुजरी। बागान बंद होने से आर्थिक दुश्वारियों से परेशान श्रमिकों को समय-समय पर विभिन्न संगठनों की ओर से वितरित किए गए राशन से थोड़ी-बहुत मदद जरूर मिली, परंतु यह भी 'उंट के मुंह में जीरा' कहावत को ही चरितार्थ करता नजर आया। अब बागान खोलने संबंधी सरकारी दिशा-निर्देश से श्रमिकों के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे हैं, लेकिन उनके साथ कुछ सवाल भी हैं। कई श्रमिकों ने दबी जुबान कहा कि इतने दिनों तक झेली मानसिक परेशानियों का क्या।