व्यर्थ नहीं जाने देंगे शहीदों का बलिदान : विमल गुरुंग
संवाद सूत्र, दार्जिलिंग : गोरखालैंड राज्य के गठन का अरमान लिए युवाओं समेत गोरखाओं ने अपने प्राणो
संवाद सूत्र, दार्जिलिंग : गोरखालैंड राज्य के गठन का अरमान लिए युवाओं समेत गोरखाओं ने अपने प्राणों की आहूति दी थी। कारगिल के शहीदों को तो लाखों रुपये मिले। परंतु अपनी मिट्टी, अपनी जातीय अस्मिता एवं पहचान को संघर्ष करते हुए प्राण गंवाने वाले इन शहीदों को अब तक कुछ भी नहीं मिल सका है। शहीदों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। गोरखालैंड राज्य का गठन होकर रहेगा। उक्त उद्गार जीटीए प्रमुख विमल गुरुंग ने व्यक्त किए। वे सोमवार को स्थानीय गोरखा रंगमंच भवन में मोर्चा की दार्जिलिंग महकमा समिति द्वारा शहीद दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने राज्य गठन पर शहीदों के परिजनों को भव्य रूप से सम्मानित करने का ऐलान किया व उम्मीद जताई कि सन 2017 तक राज्य गठित हो जाएगा। विमल ने सन 2010 में लक्ष्य प्राप्ति के बेहद करीब होने का जिक्र करते हुए पहली बार सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार किया कि सन 2009 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की हार के कारण उक्त योजना असफल हो गई थी। उन्होंने कहा कि अब पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनी है। परंतु राज्यसभा में संख्या बल कम है। उम्मीद है इस वर्ष के अंत तक कुछ राज्यों में चुनाव होने हैं। जिनके बाद राज्यसभा में भी भाजपा सांसदों की संख्या में इजाफा होने की उम्मीद है। अगले वर्ष गोरखालैंड गठन का बिल सदन में पेश हो जाएगा। सन 2017 में यह सपना पूर्ण होने की उम्मीद है। जीटीए प्रमुख ने शहीदों के नाम पर भी राजनीति किए जाने को दु:खद बताते हुए कहा कि गोरखालैंड गठन को सभी राजनैतिक दल, संघ-संस्थाएं एवं वरिष्ठ नागरिकों को एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए। फूट डालो और राज करो की नीति के आधार पर साजिश से सतर्क रहने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि जाति के एक सूत्र में रहने पर जल्द ही सफलता मिलेगी। किसी भी दल का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि शहीदों को लेकर गोरखालैंड शब्द पर भीख मांगने एवं बर्तन बनाने वाली पार्टी से सतर्क रहने की आवश्यकता है। मोर्चा ने गणतांत्रिक तरीके को अपने आंदोलन का हथियार बनाया है। जो विफल नहीं होगा। इससे पूर्व जीटीए प्रमुख ने शहीदों के परिजनों को उपहार प्रदान कर सम्मानित किया। चौरास्ता स्थित शहीद बेदी पर श्रद्धांजलि अर्पित करने एवं सैल्यूट करने के साथ ही पंडितों के साथ अनुष्ठान भी किया।