पीड़ितों को सता रही पुनर्वास की चिंता
संवाद सूत्र, मिरिक : भूस्खलन से बुरी तरह तबाह टिंगलिंग के लिम्बूधुरा के विस्थापितों में निराशा घर कर
संवाद सूत्र, मिरिक : भूस्खलन से बुरी तरह तबाह टिंगलिंग के लिम्बूधुरा के विस्थापितों में निराशा घर करने लगी है। इसकी वजह है पुनर्वास की चिंता। पहले सुरक्षित भूमि को लेकर थी, अब भूमि मिलने पर भवन निर्माण की प्रक्रिया शुरू न होने से पुनर्वास की चिंता सताने लगी है। इस संबंध में टिंगलिंग चाय बागान का स्वामित्व रखने वाले सिंगबुली चाय बागान के प्रबंधक सतीश मंत्री ने बताया कि बागान के 10 नंबर सेक्शन में पुनर्वास के लिए भूमि आवंटित कर दी गई है।
भवन निर्माण का कार्य शुरू न होने पर निराशा जताते हुए उन्होंने कहा कि एक जुलाई को ही बागान ने उक्त भूमि आंवटित कर दी थी। जिसे अपने दौरे के दौरान जीटीए प्रमुख विमल गुरुंग भी देख चुके हैं। उन्होंने कहा कि विस्थापितों के पुनर्वास को भूमि की व्यवस्था करना हमारा फर्ज था। जिसका निर्वहन करते हुए हमने उक्त व्यवस्था कर भी दी। मकानों के निर्माण को बागान की ओर से पहल के संबंध में पूछे जाने पर प्रबंधक ने कहा कि वार्षिक कोटे का मकान तो बन ही नहीं पाया। नए मकान का निर्माण कैसे होगा। उन्होंने कहा कि बागान प्रबंधन, पीड़ितों की हर संभव सहायता कर रहा है। उन्हें दवाएं, पानी, राशन आदि उपलब्ध कराया जा रहा है। राहत शिविर में कुछ दिन रहने के बाद उन्हें सारी सुविधाएं आखिरकार प्रबंधन को ही उपलब्ध करानी हैं। बागान को हुई क्षति के संबंध में मंत्री ने कहा कि भूस्खलन के कारण टिंगलिंग चाय बागान को भी काफी क्षति पहुंची है। बागान की 25 एकड़ जमीन में चाय के पौधे लगभग नष्ट हो गए हैं। पत्तियां तोड़ने का कार्य 20 एकड़ जमीन पर ही चल रहा है। इस वर्ष लगभग 40 से 50 लाख का नुकसान होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि 20 एकड़ भूभाग में से भी अधिकतर हिस्सों में दरारें पड़ गई हैं। भूमि भी दब गई है। जिससे श्रमिकों ने उन स्थानों के पौधों से पत्ती तोड़ी ही नहीं। प्रबंधक ने कहा कि बागान के पास ज्यादा जमीन नहीं है। श्रमिकों ने भी अनिच्छा जताई। जिसके कारण मौसम की पत्ती की टिपाई नहीं हो पाई है।