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सजे शिवालय, महाशिवरात्रि आज

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : शिव और शक्ति के मिलन का पर्व महाशिवरात्रि मंगलवार को पूरे भक्तिभाव से

By Edited By: Published: Mon, 16 Feb 2015 09:48 PM (IST)Updated: Mon, 16 Feb 2015 09:48 PM (IST)
सजे शिवालय, महाशिवरात्रि आज

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : शिव और शक्ति के मिलन का पर्व महाशिवरात्रि मंगलवार को पूरे भक्तिभाव से मनाया जाएगा। इसकी सभी तैयारियां कर ली गई हैं। शिवालयों को विशेष रूप से सजाया गया है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ का अभिषेक और पूजन जीवन में खुशहाली लाता है। इस पूजन में रुद्राक्ष, बेलपत्र, शहद, धतूरा और दही का विशेष महत्व है।

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इस पर्व पर शिवभक्त व्रत रखकर पूजा अर्चना के साथ ही बाबा भोले के मंदिर में विवाहोत्सव देखेंगे। दूसरे दिन सुबह यानि बुधवार को भोले बाबा का जलाभिषेक कर अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करेंगे। शिवभक्तों के लिए पूजा का बाजार सोमवार सुबह से ही जगह-जगह सज गया है। चंादमुनी मंदिर, इस्कॉन मंदिर, मायेर इच्छा कालीबाड़ी मंदिर स्थित भोले शंकर का मंदिर, चना पट्टी शिवमंदिर, नवग्रह मंदिर आदि में विशेष व्यवस्था की जा रही है। यहां बाबा भोले की पूजा के लिए महत्वपूर्ण भांग, धतूरा, बेलपत्र, बेल तथा सभी प्रकार की मालाओं की बेहद मांग है। शहर के चांदमुनी मंदिर में शिवभक्तों की भीड़ को देखते हुए यहां सुरक्षा के भी विशेष बदोबस्त किए गए हैं। मंदिर प्रागंण में इस अवसर पर तीन दिनों का मेला लगता है। यहां देश विदेश से श्रद्धालु आते हैं। कहते है कि यहां जो भी मनोकामना की जाती है वह शत प्रतिशत पूरी होती है। महाशिवरात्रि को शिव और शक्ति के मिलन की रात के रुप में जाना जाता है। महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान शिव की पूजा में रुद्राक्ष, बेलपत्र, शहद ,धतूरा और दही का काफी महत्व है। इससे पूजा करने पर भक्तों का जीवन धन्य धान्य से भर जाता है। भोले भंडारी की कृपा का जीवन भर बरसते रहती है। आचार्य पंडित यशोधर झा के मुताबिक मंगलवार को व्रत रखकर शाम 5.15 से 6.15 बजे के बीच अभिषेक, पूजन का उत्तम समय है, जिसका पालन भक्तों द्वारा किया जाएगा। रात्रि जागरण करने से भक्तों का जीवन कल्याणकारी बनेगा। शिव की पूजा महिलाएं अपने पति के लंबी आयु के लिए और कुवांरी कन्याएं सुंदर और मन पंसद वर के लिए करती हैं। माता पिता संतान की खुशी के लिए तो पुरुष आरोग्य की कामना के साथ शिव का व्रत करते हैं।

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चार प्रहर पूजन की परंपरा

पंडित आचार्य यशोधर झा के अनुसार महाशिवरात्रि ही एक ऐसा दिन है जब देवाधिदेव महादेव की चार प्रहर पूजा की जाती है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। इस अवसर पर मनोकामना लिंग की पूजा-अर्चना रजोपचार विधि से चार प्रहर तक की जाती है। शिवरात्रि में सायं काल छह से नौ बजे तक प्रथम प्रहर अघोर पूजा दूध द्वारा की जाती है। द्वितीय प्रहर में रात्रि नौ से 12 बजे तक तत्पुरुष पूजा दही से होती है। इस काल को विवाह योग भी कहा जाता है। रात्रि 12 बजे से तीन बजे तक तृतीय प्रहर वामदेव की पूजा घी अर्पण कर की जाती है एवं तड़के तीन बजे से प्रात:छह बजे तक चतुर्थ प्रहर ईशान पूजा मधु से की जाती है। इस मौके पर पंचव्रतम त्रिनेत्रम् की मंत्रध्वनि से भोले की पूजा-अर्चना होती है। चारों प्रहर भोलेदानी की पूजा-अर्चना में ढोल नगाड़े बाजे गाजे के साथ धूप, दीप, नैवेद्य, गुलाल, मिष्ठानों का भोग लगाकर मंत्रोचार के साथ चारों प्रहर शख ध्वनि के साथ पूजा-अर्चना की जाती है।

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दंपतियों के लिए है कल्याणकारी

यह पर्व उन दंपतियों के लिए अत्यंत महत्व वाला है, जिन पति-पत्‍‌नी के बीच भरपूर सुख और सामंजस्य नहीं बन पाता। यह चाहे रुग्णता के कारण हो या फिर किसी अन्य अभाव के कारण। महाशिवरात्रि पर्व पर रात्रि जागरण, जलाभिषेक और व्रत से उनके बीच प्रेम पनप उठता है। शिवरात्रि को जल, दूध, गन्ना का रस आदि पदार्थो से रुद्राभिषेक करने पर आध्यात्मिक के साथ शारीरिक उपचार होता है। इससे मानव को रोग, शोक से मुक्ति मिलती है।

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विहिप लगाएगी शिविर

महाशिवरात्रि के अवसर पर चांदमुनी में लगने वाले मेले में विश्व हिन्दू परिषद प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी शिविर आयोजित करेगा। दो दिनों तक चलने वाले इस शिविर के संबंध में नगर अध्यक्ष सुशील रामपुरिया ने बताया कि इस शिविर में खोयापाया, पेयजल की व्यवस्था और सुरक्षा के दृष्टिकोण से स्वयंसेवकों की तैनाती मेला प्रांगण में की जाएगी। इसके साथ ही विश्व हिन्दू परिषद क्या है वह समाज के लिए क्या करती है इसकी विस्तृत जानकारी भी मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को दी जाएगी।


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