छठ व्रती पूछ रहीं महानंदा कब होगा स्वच्छ
अशोक झा, सिलीगुड़ी : बिहार में पटना स्थित गंगा किनारे लोकपर्व छठ पूजा पूरे विश्व में चर्चित और दर
अशोक झा, सिलीगुड़ी : बिहार में पटना स्थित गंगा किनारे लोकपर्व छठ पूजा पूरे विश्व में चर्चित और दर्शन योग्य है। इसी प्रकार पूर्वोत्तर के प्रवेशद्वार सिलीगुड़ी में छठ बंगाल में सबसे लोकप्रिय और आकर्षित होता जा रहा है। शहर के बीच बहने वाली महानंदा नदी के किनारे सैकड़ों छठव्रति परिवार की ही देन है कि बंगाल में छठ पूजा पर सरकारी छुट्टी घोषित कराने में सफलता मिला। दुर्गापूजा के बाद से ही छठ पूजा की तैयारी में जुटे छठ प्रेमी रात-दिन महागंदा हो गये महानंदा को दुरुस्त करने में लगे है। नगर निगम इन दिनों प्रशासनिक व्यवस्था के तहत कार्य कर रहा है। प्रति वर्ष महानंदा किनारे छठ घाटों की सफाई के लिए निगम की ओर से चार वाहनों को उपलब्ध कराया जाता है। वहीं दूसरी ओर छठ पूजा के प्रति समर्पित कई संस्था और श्रद्धालुओं द्वारा निगम से बढ़चढ़ कर वाहन और जेसीबी मशीन निशुल्क उपलब्ध कराते आए है। प्रधाननगर के मास्टर दिनेश प्रसाद सिंह व राजद नेता सुदीश यादव का कहना है कि छठ व्रत के दौरान श्रद्धालुओं को स्वच्छ जल उपलब्ध हो इसके लिए घाट निर्माण के लिए जेसीबी मशीन व गंदगी फेकने के लिए वाहन उपलब्ध कराए जाएंगे। सेवा के लिए श्रद्धा का भाव जरुरी है। जिसमें श्रद्धा नहीं वह चाह कर भी सेवा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि छठ व्रत का आयोजन करने वाले आयोजकों को इसकी आवश्यकता हो तो वे 98320-28558 पर जानकारी दे निशुल्क सुविधा ले सकते है। उन्होंने कहा कि वे इस सेवा को नमन इक्यूमेंट सर्विस के माध्यम से पूरा करते है। छठ व्रत की तैयारी में जुटे आयोजकों और व्रतियों ने सरकार और प्रशासन से पूछना शुरु किया है कि आखिर महानंदा कब स्वच्छ और साफ होगा? क्या इसी प्रकार के जल में 72 घंटे के व्रतियों को जल में डुबकी लगाने पर मजबूर होना पड़ेगा? इस यज्ञ प्रश्न का जबाव न तो प्रशासन दे रहा है और न शासन। छठ पूजा के दौरान सिलीगुड़ी में छठ घाट पर आने वाले सांसद एसएस अहलूवालिया से छठ पूजा आयोजकों की मांग है कि राज्य सरकार तो हाथ पर हाथ धरे बैठी है। केंद्र के मुखिया नरेंद्र मोदी ने गंगा सफाई अभियान प्रारंभ किया है। पूर्व में ही महानंदा एक्शन प्लान से शहर के महानंदा को जोड़ा गया पर स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। वे इसकी अव्यवस्था पर सुधार का मलहम लगाएं। महानंदा उत्तर बंगाल की सांस्कृतिक विरासत की स्त्रोत महानंदा नदी। बीते समय की स्मृतियों को समेटे, सुखद भविष्य की ओर अग्रसर होने की प्रेरणादायी नदी। सिर्फ नदी नहीं, लोक संस्कृति, आर्थिक संपन्नता, धर्म व आस्था के प्रतीक का द्योतक। दो राज्यों, दो देशों को सांस्कृतिक व सभ्यता को समृद्ध करने वाली है। यह बिहार व पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से के कई जिलों को आपस में जोड़ती व बांग्लादेश में 36 किलोमीटर की दूरी तय करती है। मौसमी नदी होने के बावजूद हिमालय की तराई में अपनी जलधारा से खेतों को सींच कर इस क्षेत्र के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती रही है। भौतिकवादी विचारों से ग्रसित लोगों के कारण महानंदा की ओर से लोग विमुख हो रहे है। महानंदा किनारे बसे अवैध भवन तथा तबेला से निकलने वाली गंदगी महानंदा के निर्मल जल को प्रदूषित कर रहा है। पचास फीट चौड़ी महानंदा की धार अतिक्रमणकारियों और अवैध खनन के कारण महज बीस फीट चौड़ी हो कर रह गयी है। महानंदा किनारे शौचालय की व्यवस्था नहीं होने से उसके किनारे चलना मुश्किल है।