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बम कांड में तृकां नेताओं की संलिप्तता पर चुप्पी तोड़ें ममता

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अगर सच्ची और ईमानदार हैं तो पश्चिम बंगाल के ब‌र्

By Edited By: Published: Sat, 18 Oct 2014 09:13 PM (IST)Updated: Sat, 18 Oct 2014 09:13 PM (IST)
बम कांड में तृकां नेताओं की संलिप्तता पर चुप्पी तोड़ें ममता

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अगर सच्ची और ईमानदार हैं तो पश्चिम बंगाल के ब‌र्द्धमान जिले में गांधी जयंती पर हुए बम विस्फोट व अन्य आतंकी क्रियाकलापों में तृणमूल कांग्रेस के लोगों के नाम आने पर अपनी चुप्पी तोड़ें है।

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यह चुनौती पश्चिम बंगाल माकपा के प्रदेश सचिव विमान बोस ने शनिवार को यहां पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में दी। उन्होंने कहा कि समझ में नहीं आता कि ब‌र्द्धमान कांड में तृणमूल के जिन लोगों के नाम सामने आ रहे हैं, उनके बारे में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कुछ क्यों नहीं बोल रही हैं। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस पार्टी को सिर्फ पैसा चाहिए। जहां से पैसा मिलने वाला होता है, वहां पर हाथ बढ़ा दिया जा रहा है। पैसा देने वाला कोई भी हो। शुरू में इस घटना की जांच कर रही पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए विमान बोस ने कहा कि पहले पश्चिम बंगाल की सीआइडी का देश में प्रमुख स्थान था। पुलिस की भी प्रशंसा होती थी, लेकिन वर्तमान तृणमूल सरकार पुलिस को निष्पक्ष रूप से काम नहीं करने दे रही है। पुलिस से पार्टी के सदस्य के रूप में काम लिया जा रहा है। ब‌र्द्धमान में जिस घर को पुलिस तलाशी लेकर सील कर चुकी थी, उसी घर से बम बरामद हुए। केंद्र सरकार द्वारा राज्य की अनुमति के बगैर राष्ट्रीय जांच एजेंसी से जांच कराए जाने के लिए भी ममता बनर्जी ही जिम्मेदार है। जब एनआइए के गठन का बिल पास हो रहा था, उस वक्त वाममोर्चा के शासन काल में केंद्र सरकार के पास पत्र भेजा गया था, उस वक्त ममता बनर्जी एनआइए स्टैंडिंग कमेटी की सदस्य थीं, लेकिन इस पर कुछ नहीं बोलीं।

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सारधा की सीबीआइ जांच पर बोलना जल्दबाजी

बिमान बोस ने सारधा घोटाले की सीबीआइ के सवाल पर कहा कि अभी इसपर कुछ भी बोलना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि इस घोटाले के बाद राज्य सरकार द्वारा गठित श्यामल सेन कमेटी ने चिटफंड पीड़ितों के पैसे वापस देने का सुझाव दिया था, जबकि राज्य सरकार ने लोगों के पैसे वापस करने के लिए पांच सौ करोड़ रुपये जारी करने की बात कही थी। बाद में देखा गया कि कुछ ही लोगों को पैसे वापस किये गए, जबकि सारधा घोटाला 10 से 20 हजार करोड़ रुपये का है।


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