इस महानंदा में कैसे होगी पूजा
अशोक झा, सिलीगुड़ी : मिनी इंडिया कहे जाने वाले इस शहर में आस्था का महालोकपर्व छठ देखते ही बनता है।
अशोक झा, सिलीगुड़ी :
मिनी इंडिया कहे जाने वाले इस शहर में आस्था का महालोकपर्व छठ देखते ही बनता है। बंगाल में ममता सरकार द्वारा छठ पर सरकारी छुट्टी घोषित किए जाने से यहां हिन्दी भाषियों में खुशी की लहर भी है, लेकिन शहर के बीच बहने वाली महानंदा नदी की जो दशा है, उसे देखकर यह सवाल बार-बार उठता है कि इस नदी में छठ पूजा कैसे होगी, क्योंकि नदी में चारो ओर जबरदस्त गंदगी और प्रदूषण है।
उल्लेखनीय है कि एक ओर देश के प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत का नारा बुलंद किए हुए हैं। शहर में सफाई का विशेष मुहिम चलाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन महानंदा की दशा को सुधारने की ओर न तो शासन का ध्यान है न प्रशासन का। इसको लेकर अब विपक्ष समेत छठ व्रतियों द्वारा सूबे की सरकार और मंत्री पर सवाल उठाए जा रहे हैं। महानंदा उत्तर बंगाल की सांस्कृतिक विरासत की स्त्रोत है और बीते समय की स्मृतियों को समेटे, सुखद भविष्य की ओर अग्रसर होने की प्रेरणादायी नदी है। एक तरह से कहा जाए तो यह नदी नहीं, लोक संस्कृति, आर्थिक संपन्नता, धर्म व आस्था के प्रतीक का द्योतक। दो राज्यों, दो देशों की सांस्कृतिक व सभ्यता को समृद्ध करने वाली यह नदी बिहार व पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से के कई जिलों को आपस में जोड़ती है और बांग्लादेश में 36 किलोमीटर की दूरी तय करती है। मौसमी नदी होने के बावजूद हिमालय की तराई में अपनी जलधारा से खेतों को सींच कर इस क्षेत्र के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है, लेकिन इसके किनारे बसे अवैध भवन तथा तबेलों से निकलने वाली गंदगी इसके निर्मल जल को प्रदूषित कर रही है। पचास फीट चौड़ी महानंदा की धार अतिक्रमणकारियों और अवैध खनन के कारण महज बीस फीट की हो कर रह गई है। जल संरक्षण, जल प्रदूषण हटाओ की कड़ी में दैनिक जागरण ने महानंदा बचाओ अभियान शुरु कर शासन-प्रशासन का ध्यान आकृष्ट भी कराया पर स्थिति ज्यों की त्यों है। स्थानीय विधायक सह सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन डाक्टर रुद्रनाथ भट्टाचार्य ने महानंदा को महागंदा न होने देने का संकल्प भी लिया था। कहा था कि महानंदा नए रूप में नजर आए इसके लिए कई कदम उठाए जाएंगे, मगर एसजेडीए घोटाले के बाद एसजेडीए के चेयरमैन पद से हटने के बाद से यह मुद्दा दाखिल दफ्तर हो गया। केंद्र सरकार की ओर से महानंदा एक्शन प्लान में 47 लाख रुपये भी आए पर कहीं कोई काम नजर नहीं आ रहा है।
इनसेट--
क्या थी संभावित योजनाएं
-महानंदा किनारे रहने वालों के साथ बैठक कर बनेगी कमेटी
- महानंदा में जल संरक्षण की होगी व्यवस्था
-नदी के दोनों किनारे टहलने के लिए बनेगी सड़क
-गंदगी से बचाने के लिए सुलभ शौचालयों का होगा निर्माण
-पार्क के साथ रोशनी की होगी उत्तम व्यवस्था
-मोटरबोट से नौकायन की व्यवस्था
-खटाल का सर्वसम्मति से उचित स्थान पर स्थानांतरण।