समाप्त हुआ वामो का धरना
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : छह सितंबर को महारैली और 22 को एसजेडीए के घेराव के बाद भी आंदोलन को जारी रखने की घोषणा के साथ वाममोर्चा का दिन-रात का धरना मंगलवार को समाप्त हो गया। इस मौके पर पूर्व मंत्री अशोक नारायण भट्टाचार्य ने कहा कि जब विश्वास टूटता है, तो आक्रोश फूटता है, इस लिए सरकार को एसजेडीए घोटाले की सीबीआइ जांच करानी चाहिए।
सुभाषपल्ली नेताजी चौक पर धरना प्रदर्शन के समापन पर पूर्व मंत्री ंने कहा कि मुख्यमंत्री का शहर में कार्यक्रम था। कई अखबारों में खबरें प्रकाशित हुई कि लोगों को बैठने के लिए जो कुर्सियां लगाई गई थीं वह भी नहीं भरी। यह जनता के टूटते विश्वास को दर्शाता है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री का नाम इन दिनों सारधा चिटफंड से जुड़ने लगा है। अखबार और टीवी में यह खबर सुर्खियां बन रही है। इससे राज्य सरकार क्या कहकर बचाने की कोशिश करेगी।
उन्होंने कहा कि सारधा चिटफंड घोटाले के साथ एसजेडीए घोटाले में भी दो सौ करोड़ रुपये की लूट हुई है। जनता को मौलिक सुविधाएं नहीं मिल पा रहा है जबकि टीएमसी से जुड़े लोगों की चल अचल संपत्ति लगातार बढ़ रही है। लूटा गया पैसा जनता की गाढ़ी कमाई का है। इसके खिलाफ जब तक सीबीआइ जांच नहीं की जाएगी तबतक इसमें शामिल नेताओं की गिरफ्तारी नहीं हो सकती। इस मामले में जिन्हें गिरफ्तार किया गया था उन्हें फिर से गिरफ्तार कर पूछताछ की जानी चाहिए, लेकिन इस मामले की अपने स्तर से जांच कराने की बात कहकर सरकार घोटाले के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार लोगों को बचाने का काम कर रही है। जिस तरह से इस मामले में एसजेडीए के पूर्व सीइओ गोदाला किरण कुमार को सिलीगुड़ी के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर के जयरमन द्वारा गिरफ्तार करने पर जय रमन को यहां से हटाया गया, इससे सरकार की नीति व नीयत पर सवाल खड़ा उठता है। आज यही स्थित सारधा कांड की है। जिस बात को वाममोर्चा प्रारंभ से ही कह रही थी उसी को आज सीबीआइ उजागर कर रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार घोटाला मामले में कार्रवाइ के नाम पर छोटी मछलियों पर कार्रवाई कर लोगों को ध्यान हटाना चाह रही थी। भला हो उच्च न्यायालय का जिसके बल पर इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी गई है। वाममोर्चा की मांग है कि घोटाले के आरोपियों के गिरफ्तारी के साथ अमानतकारी को उनका पैसा दिया जाए। परिवर्तन के इस सरकार में दलतंत्र के इशारे पर प्रशासन काम कर रहा है। ऐसा नहीं होता तो सामूहिक दुष्कर्म जैसे मामले में गिरफ्तारी नहीं करने के लिए वह दबाव नहीं बनाती। वाममोर्चा का आरोप इस बात से प्रमाणित होता है कि सरकार चुनाव नहीं कराकर सभी संस्थानों पर कब्जा करने में लगी है। इसका उदाहरण फांसीदेवा पंचायत, सिलीगुड़ी महकमा पर कब्जा है। समन पाठक ने कहा कि श्रमिकों के लिए भी यह सरकार विरोधी है। कल कारखानों पर अपना दबदबा बनाने के लिए उसे बंद कराया जा रहा है। भाकपा के उज्जवल चौधरी, विकास सेन राय, दिलीप राय, दिलीप सिंह,अमरनाथ सिंह, मौसमी हाजरा, जय चक्रवर्ती, शंकर घोष, मणी थापा आदि ने कहा कि परिवर्तन की सरकार में महिलाओं को घर से निकलने में और छात्रों को स्कूल कॉलेज जाने मे डर लगता है।