चाय श्रमिकों की समस्या का हो समाधान
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :
सरकार सिर्फ कहती है दैनिक भत्ता निर्धारण का कोई हल निकल जायेगा। पर पांच बैठकों के बाद भी कोई हल नहीं निकल पाया। समाधान नहीं निकला तो आने वाले दिनों में आदिवासी विकास परिषद संयुक्त ट्रेड यूनियन के साथ मिलकर आंदोलन की राह पर होगी। गुरुवार को पत्रकारों से बात करते हुए आदिवासी विकास परिषद के नेता तेज कुमार टोप्पो ने यह कहा। उन्होंने कहा कि तराई डुवार्स में जो भी चाय बगान है उसमें सबसे ज्यादा आदिवासी श्रमिकों की संख्या है। आदिवासी विकास परिषद आदिवासियों के हित में लगातार काम करती है और आगे भी करती रहेगी। राज्य सरकार से मालिक पक्ष की ओर से वेतन संबंधी प्रस्ताव मांगा गया था, लेकिन वे कोई प्रस्ताव दे नहीं पाए। जिस तरह से महंगाई दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, इसे देखते हुए मालिक पक्ष से पहले 'वैरिएबल डियरनेश अलाउंस' लागू किया जाना चाहिए। ताकि महंगाई बढ़ने के साथ वीडीए के मुताबिक महंगाई भत्ता बढ़ सके। इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत न्यूनतम मजदूरी 206 रुपये निर्धारित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 25 जुलाई को होने वाली बैठक में भी यही मांग की जायेगी। पश्चिम बंगाल से ज्यादा मजदूरी केरल व तमिलनाडु में चाय बगान श्रमिकों को मिलता है। श्रमिकों के हित के लिए परिवर्तन की सरकार को कोई मोह नहीं है। अंग्रेजों की नीति फूट डाल राज करों चाय श्रमिकों के पास नहीं चलने वाली। आदिवासी विकास परिषद इसके लिए सभी चाय श्रमिक एकजुट है और आगे भी रहेंगे।