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बीमार बच्चे को बार-बार रेफर करने पर ली सीएमओ की शरण

संवाद सहयोगी, बालुरघाट : डेढ़ वर्ष के बीमार बच्चे को बार-बार बालुरघाट सदर व सुपर स्पेशलिटी अस्पताल स

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Jun 2017 09:58 PM (IST)Updated: Fri, 16 Jun 2017 09:58 PM (IST)
बीमार बच्चे को बार-बार रेफर करने पर ली सीएमओ की शरण
बीमार बच्चे को बार-बार रेफर करने पर ली सीएमओ की शरण

संवाद सहयोगी, बालुरघाट : डेढ़ वर्ष के बीमार बच्चे को बार-बार बालुरघाट सदर व सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से रेफर किए जाने से परेशान निर्धन परिवर ने जिला के मुख्य चिकित्सा अधिकारी व जिला प्रशासन का दरवाजा खटखटाया। स्वास्थ सेवा के विकास के लिए बालुरघाट में बने सुपर स्पेशलिटी अस्पताल प्रबंधन की इस तरह की भूमिका से इलाज सेवा को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

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जानकारी के मुताबिक दक्षिण दिनाजपुर जिले के गंगारामपुर थाना क्षेत्र के फूलबाड़ी क्षेत्र के निवासी सुदीप दास व उसकी पत्‍‌नी शिप्रा दास का पुत्र के सात माह का पुत्र अन्नप्राशन के बाद बीमार पड़ा। उसे उल्टी व दस्त की शिकायत पर बालुरघाट जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। दूसरे ही दिन उसे यहां से मालदा रेफर कर दिया गया। जहां चिकित्सकों ने बच्चे के हृदय में छेद बताकर दुर्गापुर में रेफर कर दिया। साथ ही इलाज के लिए चार लाख रुपए की आवश्यकता बताई गई, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण सुदेव व उसका परिवार बालुरघाट लौट आया। आरोप है कि फिर इस बीमार बच्चे को बालुरघाट सदर अस्पताल में भर्ती नहीं लिया गया। काफी जद्दोजहद के बाद कुछ रुपयों का इंतजाम कर इस बच्चे को कोलकाता पीजी अस्पताल में ले जाया गया, वहां से फिर आमबाड़ी ले जाया गया। करीब महीने भर बाद बच्चे की स्वास्थ में सुधार आया एवं उसे परिवार के लोग घर ले आए, लेकिन बुधवार को सुदीप ने खून की उल्टी शुरू की। रात को ही उसे बालुरघाट सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन गुरुवार सुबह को ही यहां के चिकित्सक ने उसे फिर रेफर कर दिया। सुदीप का परिवार पुन बाहर ले जाते में समर्थ नहीं होने से सुदेव व उसका परिवार सुदीप को लेकर बालुरघाट जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी व प्रशासन का दरवाजा खटखटाया। बीमार सुदीप के पिता सुदेव दास ने बताया कि दूसरे की दुकान में काम कर किसी तरह परिवार चलाते हैं, ऐसे में बार-बार रेफर किए जाने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए काफी रुपयों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सौ करोड़ की लागत से बने सुपर स्पेशलिटी अस्पताल जहां उन्नत सेवा देने का दावा किया जा रहा है वहीं उनके बीमार बच्चे को बार-बार लौटाया जा रहा है। ऐसी स्थिति में उन्होंने सरकारी मदद को जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी व प्रशासन का दरवाजा खटखटाया है।


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