डायन बता चार आदिवासी परिवारों को गांव से खदेड़ा
अंधविश्वास -------- - शुद्धिकरण को मांगा प्रति व्यक्ति 16 हजार रुपये व 28 किग्रा धान - मंत्री
अंधविश्वास
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- शुद्धिकरण को मांगा प्रति व्यक्ति 16 हजार रुपये व 28 किग्रा धान
- मंत्री के निर्देश पर कार्रवाई, ग्रामीणों ने जुर्माने की बात स्वीकारी
संवाद सहयोगी, बालुरघाट : डायन बताकर ग्रामीणों ने चार आदिवासी परिवारों को गांव से खदेड़ दिया। चारो परिवार के सात लोग 16 दिन से गांव के बाहर बसर कर रहे हैं। ग्रामीणों ने शुद्धिकरण के लिए प्रति व्यक्ति सोलह हजार रुपये व 28 किग्रा धान जुर्माना लगाया है। घटना की जानकारी पर उत्तर बंग उन्नयन विभाग के राज्यमंत्री बाच्चू हांसदा ने कार्रवाई के निर्देश प्रशासन को दिए हैं।
तपन थाना क्षेत्र अंतर्गत रामचंद्रपुर के चकबलीपुकुर इलाके में गत दिवस एक व्यक्ति की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी। अंधविश्वास के तहत ग्रामीण झारखंड के एक तांत्रिक के पास गए। तांत्रिक ने गांव के चार आदिवासी परिवारों को डायन बताकर मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया। स्थानीय तृणमूल कांग्रेस की पंचायत सदस्य के पति चतुर हेमब्रम ने भी तांत्रिक का समर्थन किया। इसके बाद ग्रामीणों ने पंचायत कर शुद्धिकरण के लिए प्रति व्यक्ति 16 हजार रुपए एवं 28 किग्रा धान का जुर्माने का फैसला सुना दिया । जुर्माना न भर पाने पर ग्रामीणों ने आरोपित परिवारों को गांव से खदेड़ दिया। इधर, गांव छोड़ने के बाद चारो आदिवासी परिवार तपन थाना व बीडीओ कार्यालय गए और घटना की जानकारी दी, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। थक-हार कर पीड़ित बालुरघाट फाउंडेशन आदिवासी अकादमी की शरण में गए। संस्था ने इन परिवारों को बुधवार को पुलिस अधीक्षक, जिलाधिकारी व मंत्री बाच्चू हांसदा के समक्ष पेश किया। मंत्री ने पीड़ितों की घर वापसी के लिए प्रशासन को कार्रवाई के निर्देश दिए। पूछताछ में ग्रामीणों ने जुर्माने की बात तो स्वीकारी, लेकिन गांव से खदेड़े जाने से इन्कार कर दिया। ग्रामीणों ने बताया कि जुर्माना न भर पाने से आदिवासी खुद ही गांव छोड़ गए थे। पीड़ित कविराज मुर्मू, सुकुरमनी मुर्मू, लक्खी मार्डी का आरोप है कि उन्हें डायन बताकर जान से मारने की धमकी भी दी गई। जिलाधिकारी संजय बसु ने कहा कि आदिवासी इलाके में अंधविश्वास दूर करने के लिए अभियान चलाया जाएगा।