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विद्यालयों में संचालन समिति गठन को चुनाव बदले होगा चयन

-सरकार मनोनीत कमेटी के हाथों होगी स्कूल संचालन की जिम्मेदारी संवाद सहयोगी, कूचबिहार : शिक्षा के क

By Edited By: Published: Thu, 18 Dec 2014 07:37 PM (IST)Updated: Thu, 18 Dec 2014 07:37 PM (IST)
विद्यालयों में संचालन समिति गठन को चुनाव बदले होगा चयन

-सरकार मनोनीत कमेटी के हाथों होगी स्कूल संचालन की जिम्मेदारी

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संवाद सहयोगी, कूचबिहार : शिक्षा के क्षेत्र से राज्य की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गणतंत्र को छीन ली है। माध्यमिक शिक्षक व शिक्षाकर्मी समिति के जिला अध्यक्ष वाणीकांत भट्टाचार्य ने गुरुवार को यह आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि करीब डेढ़ वर्ष पहले राज्य मध्य शिक्षा परिषद कमेटी तोड़ दी गई है। चुनाव नहीं कर प्रशासक के जरिए परिषद का संचालन किया जा रहा है। अब से राज्य के सभी सरकार संपोषित विद्यालयों में संचालन समिति गठन का चुनाव प्रणाली को हटा दिया गया। गणतांत्रिक पद्धति से संचालन समिति गठन प्रक्रिया को रद कर सरकार मनोनीत कमेटी के हाथों में स्कूल संचालन की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। वाणीकांत भट्टाचार्य ने बताया कि पूरे राज्य में इस तरह से संचालन समिति में अपने लोगों को तृकां ने बिठाया है। उन्होंने बताया कि बड़ी कुशलता के साथ शिक्षा का अधिकार व गणतांत्रिक अधिकार के हरण करने के विरोध में संगठन हाईकोर्ट में मामला दर्ज किया है। विभिन्न विद्यालयों के शिक्षक व शिक्षिकाएं राज्य शिक्षा विभाग के इस निर्णय से नाराज है। इनका कहना है कि मुख्यमंत्री ने शिक्षा क्षेत्र को राजनीति से मुक्त करने के लिए अभिभावकों ने सदस्य चुनाव रद किया गया है। नाराज शिक्षकों के मुताबिक संचालन समिति गठन के लिए चुनाव पद्धति रद कर वास्तव में सभी स्कूलों में क्षेत्र के तृकां नेता व कार्यकर्ताओं को प्रवेश दिया गया है। इसे अधिकांश शिक्षक-शिक्षिकाओं ने एक खतरनाक रूझान बताया कि वीणीकांत ने बताया कि शिक्षा विभाग से पहले सर्कुलर भेज दिया जाए। वाणीकांत ने बताया कि शिक्षा विभाग से पहले सर्कलर भेजने का कहा गया है। इनके मनोनीत कमेटियों में जो सदस्य रहेंगे उन सदस्यों को न्यूनतमम शैक्षणिक योग्यता स्नातक होना होगा। जबकि केवल कूचबिहार जिले में ही सरकार संपोषित संचालन समिति के सदस्य के रूप में मनोनीन किए गए 50 में से 50 फीसद ही स्नातक नहीं है। हालांकि सभी येलोग तृकां के परिचित नेता व कार्यकर्ता हैं। उल्लेखनीय है कि 26 सितंबर को राज्य सरकार के संयुक्त सचिव एके भट्टाचार्य ने हस्ताक्षर कर एक निर्देशिका कोलकाता के विकास भवन में एक निर्देशिका भेज दिया है। इस निर्देशिका में स्पट रूप से कहा गया है कि सरकरा संपोषित स्कूलों में किस तरह से काम करेगी निजी कमेटी। एक स्कूल में एक सरकारी प्रतिनिधि, दो शिक्षा से जुड़े लोग होंगे। इन्हें बीए पास होना होगा। कमेटी में एक चिकित्सक भी होंगे। ये सभी कमिश्नर आफ स्कूल एजूकेशन द्वारा मनोनीत होंगे। इस निर्देशिका के सूत्रों से ही कमिश्नर आफ स्कूल एजूकेान ने एक निर्देशिका बीते 11 नवंबर को सभी जिला उच्च विद्यालय निरीक्षकों को भेज दिया है। इस निर्देशिका में कहा गया है कि न्यूनतम बीए उत्तीर्ण दो शिक्षानुरागी के नाम प्रत्येक विद्यालयों को भेजने को कहा गया है। आखिरकार दो दिसंबर को राज्य सरकार के संयुक्त सचिव के हस्ताक्षर वाली निर्देशिका सभी स्कूलों में भेज दी गई है। इस पत्र में ऐसे सभी व्यक्ति को अधिकांश विद्यालयों में शिक्षानुरागी के रूप में कमेटी का सदस्य बनाया गया है जो संबंधित क्षेत्रों में परिचित कांग्रेस नेता होने के बावजूद आज तक स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की। सूचना के मुताबिक खुद शिक्षा मंत्री के आह्वान पर सभी जिलों के उच्च विद्यालय के निरीक्षक कोलकाता गए हैं। पश्चिम बंग तृणमूल माध्यमिक शिक्षक समिति के जिला संचालक पार्थप्रतिम राय ने बताया कि निर्देशिका के बारे में उन्हें जानकारी है। जिले के 99 फीसद स्कूलों में स्नातक उत्तीर्ण शिक्षानुरागी मिले पर कई जगह पर इस योग्यता के लोग नहीं मिले। इसके अलावा कमेटी में सभी की शैक्षणिक योग्यता न्यूनतम स्नातक बताये जाने के बावजूद वास्तव में यह असंभव है। पार्थप्रतिम राय ने बताया कि अधिकांश विद्यालयों में गैर शिक्षा कर्मी प्रतिनिधि स्नातक नहंी है। माध्यमिक शिक्षक व शिक्षा कर्मी समिति के जिला अध्यक्ष वाणीकांत ने स्पष्ट रूप से बता दिया है कि पार्टी के दासों के जरिए शिक्षा व्यवस्था का संचालन का वे घोर विरोधी हैं, इसलिए वे कोलकाता हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।


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