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नीचे आग ऊपर पुनर्वास की आस

आसनसोल : रानीगंज कोयलांचल के लाखों लोग वर्षों से भूमिगत आग व धंसान प्रभावित क्षेत्र में पल-पल ¨जदगी

By Edited By: Published: Tue, 06 Dec 2016 01:00 AM (IST)Updated: Tue, 06 Dec 2016 01:00 AM (IST)
नीचे आग ऊपर पुनर्वास की आस

आसनसोल : रानीगंज कोयलांचल के लाखों लोग वर्षों से भूमिगत आग व धंसान प्रभावित क्षेत्र में पल-पल ¨जदगी और मौत के बीच संघर्ष करते हुए जीने को मजबूर है। बराकर से अंडाल-पांडेश्वर, सालानपुर के सामडी-डाबर-लालगंज-गौरांडी से बाराबनी होकर जामुड़िया, रानीगंज में सैकड़ों बस्तियां है, जो धंसान प्रभावित इलाका है। सालानपुर के सामडी, सातग्राम के निमचा, बेनाली, कुल्टी के सांकतोड़िया आदि इलाके भूमिगत आग की चपेट में है। निमचा व बेनाली में भूमिगत आग भड़कने पर तत्कालीन राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी दौरे पर आए भी थे। जिसके बाद जर्मनी तथा विश्व के अन्य देशों से विशेषज्ञ भी यहां भूमिगत आग रोकने का उपाय ढूंढने के लिए आए। लेकिन आज करीब एक दशक बीतने को है, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। पुनर्वास की आस में लोगों की सांसें टूटती जा रही है।

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कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण से पहले इस अंचल में लगातार कोयला खनन कर और बालू भराई न किए जाने, अवैज्ञानित पद्धति से खनन एवं कोयला माफियाओं द्वारा चलाए गए अवैध खदानों ने इस अंचल को नीचे से खोखला कर दिया है। इस कारण जिला प्रशासन ने 2010 में निर्देश जारी कर इन धंसान प्रभावित इलाकों में नये निर्माण पर रोक लगा दी है। धंसान प्रभावित इलाके के लोगों को बचाने के लिए तत्कालीन सांसद सह सीटू नेता हराधन राय द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर मामले में 6 फरवरी 2004 को सुप्रीम कोर्ट ने दो माह के अंदर केंद्र सरकार को प्रभावित क्षेत्रों में काम चालू करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर रानीगंज कोयलांचल में 2600 करोड़ की पुनर्वास योजना को मंजूरी मिली। इस राशि से इस अंचल के 40 हजार परिवारों को पुनर्वासित किया जाना था। लेकिन 2008 में शुरू हुई इस योजना के 8 साल बीतने के बाद भी अभी तक मात्र 40 हजार प्रभावित परिवार को चिह्नित कर उन्हें पहचान पत्र ही दिए जा सके है। एडीडीए ने 141 क्षेत्रों की प्राथमिक सूची भी तैयार की। लेकिन आज तक इस दिशा में कुछ खास नहीं हो सका। ................

डीजीएमएस के अनुसार सर्वाधिक खतरनाक क्षेत्र

सालानपुर डीबी रोड से जेमारी गांव, सिरामिक वर्कर्स क्षेत्र, भूरामल बंगला संलग्न क्षेत्र, बनबीडी, डाबर 10 नंबर, सामडी, पहाड़गोड़ा, बराचक गांव, रामजीवनपुर कोलियरी जीटी रोड से दो किमी. उत्तर की ओर, छातिमडांगा गांव, राना 6 नंबर कोलियरी, चांदा-जामुड़िया रोड के तीन किमी. पश्चिम में, केन्दुआ से कुल्टी तक धोयाबागान एवं के रोड, सांकतोड़िया गांव व कोलियरी, सालानपुर रेलवे स्टेशन से तीन किमी. दक्षिण-पूर्व का क्षेत्र, कुल्टी का बैजडीह, आलडी, मिठानी एवं बोर्डरा, हीरापुर गांव, हीरापुर कोलियरी, रानीगंज का एगरा, महावीर कोलियरी, सिउड़ी-रानीगंज रोड, नंडीगांव, जामुड़िया सेंट्रल, बराकर शहर, जनकपुर बस्ती, इस्को का कुल्टी लाइट का¨स्टग व‌र्क्स के पास का क्षेत्र, पुनिआर्टी माइंस व‌र्क्स इलाका, शिवपुर कोलियरी, जामुड़िया 5-6 नंबर पिट, रामनगर, खासकेन्दा, सेंट्रल केन्दा, सियारसोल कोलियरी, जोगीबागान, महावीर कोलियरी संलग्न क्षेत्र, फतेहपुर गांव, भूतडोबा कोलियरी बस्ती, पानकौड़ी गांव, डिसरगढ़ कोलियरी, आलूठिया भरतचक गांव, बेलरूई एवं बीबी रोड का कुछ हिस्सा, कुआरडी कोलियरी, कालीपहाड़ी, पलाशन गांव, घनश्याम कोलियरी।

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हाउ¨सग विभाग को मिला पुनर्वास का दायित्व

शिल्पांचल के भूमिगत आग व भू धंसान प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले प्रभावितों को पुनर्वास देने के लिए राज्य के आवासीय मंत्री सह कोलकाता के मेयर शोभन चटर्जी नवंबर माह में जामुड़िया इलाके के दौरे पर आए। यहां विजयनगर तथा धसल में दो जगहों को चिह्नित किया गया। बताया जाता है कि केंद्र सरकार द्वारा पुनर्वास योजना के तहत एडीडीए को रानीगंज कोयलांचल में मास्टर प्लान के तहत प्रभावितों को पुनर्वास का दायित्व दिया गया था। लेकिन लगभग एक दशक बीतने के बाद भी अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कार्य नहीं हुआ। जिसके बाद अब पुनर्वास का दायित्व राज्य के हाउ¨सग विभाग को सौंपा गया है। जिसके माध्यम से प्रभावितों को पुनर्वासित किया जाएगा। इसके लिए पहले चरण में जामुड़िया में कार्य होगा।


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