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खच्चर से सामान ढोकर पुरुषों को टक्कर दे रही सुनीता

उत्तरकाशी जिले में चिन्यालीसौड़ नगर पालिका क्षेत्र के धनपुर गांव की सुनीता ने पति की मौत के बाद ऐसा काम किया, जो महिलाएं नहीं करती। खच्चर से सामान ढोकर वह परिवार को पाल रही है।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 19 Apr 2017 01:15 PM (IST)Updated: Thu, 20 Apr 2017 02:30 AM (IST)
खच्चर से सामान ढोकर पुरुषों को टक्कर दे रही सुनीता
खच्चर से सामान ढोकर पुरुषों को टक्कर दे रही सुनीता

उत्तरकाशी, [जेएनएन]: दुखों का पहाड़ टूटने पर भी, सीना ताने खड़ा रह पाएगा, दर्द का अंबार फूटने पर भी, सर उठाकर सतत चलता जाएगा। कुछ ऐसा ही हौसला उत्तरकाशी जिले में चिन्यालीसौड़ नगर पालिका क्षेत्र के धनपुर गांव की सुनीता का है। चार साल पहले बीमारी के चलते सुनीता के पति की मौत हो गई। उन्होंने किसी के सामने हाथ फैलाने के बजाय खुद अपनी ताकत बनने की ठानी और इसके लिए चुना खच्चर संचालन जैसा कठिन कार्य। 

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मेहनत की सुखद परिणति हुई और आज वह परिवार का भरण-पोषण करने के साथ न केवल बच्चों को अच्छी शिक्षा दे रही हैं, बल्कि खच्चरों के लिए गया ऋण भी उन्होंने चुकता कर दिया है। 

धनपुर के दलित परिवार की 44 वर्षीय सुनीता देवी के पति दिनेश दो खच्चरों के संचालन से परिवार का भरण-पोषण करते थे। लेकिन, चार साल पहले बीमारी ने उनका जीवन छीन लिया। अब दो बच्चों के लालन-पालन की जिम्मेदारी अकेली सुनीता पर आ गई। ऐसे में हिम्मत हारने के बजाय उन्होंने खच्चरों को ही आय का जरिया बनाने की ठानी। पर, मुश्किल खच्चरों के लिए बैंक के लिए गए ऋण को लौटाने की थी।

ऐसे में सुनीता ने तय किया कि वह खच्चरों से रेत-बजरी ढोने का काम करेंगी। हालांकि, ऐसा करना उनके लिए आसान नहीं था। खच्चरों से रेत-बजरी, पत्थर व अन्य सामान ढोने का कार्य तड़के पांच बजे शुरू हो जाता है। खैर! सुनीता ने यह चुनौती भी स्वीकार कर ली और परिणाम सामने है। 

वर्तमान में सुनीता के पास दो खच्चरों के अलावा एक भैंस और तीन बकरियां भी हैं। कड़ी मेहनत से उन्होंने पति का बैंक से लिया 70 हजार रुपये का ऋण भी चुकता कर दिया है। आज सुनीता की जीवटता की चर्चा चिन्यालीसौड़ ही नहीं, बल्कि उत्तरकाशी आने-जाने वाले वे यात्री भी करते हैं, जो उन्हें खच्चर चलाते हुए देखते हैं। 

क्षेत्र की महिलाओं के लिए सुनीता प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं। बताती हैं, उनका बेटा एक प्राइवेट स्कूल में आठवीं का छात्र है, जबकि बेटी दसवीं में पढ़ रही है। अब उनका ध्येय बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाकर काबिल इन्सान बनाना है।

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