दुनिया के सबसे खतरनाक रास्ते से होगी गर्तांगली की सैर
उत्तरकाशी जिले में भारत-चीन सीमा पर जाड़ गंगा घाटी में स्थित सीढ़ीनुमा यह मार्ग दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में शुमार है। अब निम इल ट्रेक को फिर से शुरू करने का काम कर रहा है।
उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल] अब रोमांच के शौकीन समुद्रतल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर गर्तांगली की सैर कर सकेंगे। उत्तरकाशी जिले में भारत-चीन सीमा पर जाड़ गंगा घाटी में स्थित सीढ़ीनुमा यह मार्ग दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में शुमार है।
पिछले दिनों नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) और पर्यटन विभाग के दल ने गर्तांगली का निरीक्षण किया। करीब आधा किलोमीटर लंबी यह गली वर्ष 1962 तक भारत -तिब्बत व्यापार का प्रमुख मार्ग हुआ करती थी।
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अब केंद्र की स्वदेश दर्शन योजना के तहत राज्य सरकार गर्तांगली को पर्यटन सर्किट से जोड़ने की तैयारियां कर रही है। पर्यटन विभाग की मदद से निम सीढिय़ों की मरम्मत करेगा। दरअसल, कहा जाता है कि यह मार्ग 17वीं सदी में पेशावर से आए पठानों ने चट्टानों को काटकर बनाया था।
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भारत-चीन युद्ध से पहले व्यापारी इस रास्ते से ऊन, चमड़े से बने वस्त्र व नमक लेकर बाड़ाहाट (उत्तरकाशी का पुराना नाम) पहुंचते थे। युद्ध के बाद इस मार्ग पर आवाजाही बंद हो गई, लेकिन सेना का आना-जाना जारी रहा। करीब दस वर्ष बाद 1975 में सेना ने भी इस रास्ते का इस्तेमाल बंद कर दिया। चालीस साल से मार्ग का रख-रखाव न होने के कारण सीढिय़ां क्षतिग्रस्त हो गई हैं। सीढ़ियों के किनारे लगी सुरक्षा बाढ़ की लकड़ियां भी खराब हो चुकी हैं।
अब राज्य सरकार इस मार्ग को दुरुस्त करने के लिए सक्रिय हुई है। निम के प्रधानार्चाय कर्नल अजय कोठियाल ने बताया कि स्थानीय ट्रैकिंग संचालकों के साथ बैठक के बाद जिला पर्यटन अधिकारी केएस नेगी और गंगोत्री नेशनल पार्क के रेंज अधिकारी पीएस पंवार के साथ गर्तांगली का निरीक्षण किया गया।
गर्तांगली को तैयार किए जाने का उद्देश्य साफ करते हुए कर्नल कोठियाल कहते हैं कि पर्यटकों को अहसास कराया जाएगा कि कभी किस तरह जोखिम भरे रास्तों से जीवन चलता था।
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जिला पर्यटन अधिकारी बताते हैं कि दुनिया के सबसे दुर्गम रास्ते की मरम्मत के बाद पर्यटकों को यहां की सैर कराई जाएगी। इसके अलावा पर्यटकों को नेलांग घाटी और जादूंग गांव की ट्रैकिंग भी कराने की योजना है।
1965 में लोनिवि ने की थी मरम्मत
हर्षिल की ग्राम प्रधान 75 साल की बसंती देवी बताती है कि 1965 में आखिरी बार लोक निर्माण विभाग ने गर्तांगली मरम्मत की थी। आज स्थिति यह है कि मार्ग पांच से अधिक स्थानों पर क्षतिग्रस्त है।
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