उत्तराखंड में जागरों से जाग्रत होंगे मतदाता
उत्तराखंड में जिस तरह देवी देवताओं को जागर के जरिए जाग्रत किया जाता है। उसी तरह राज्य निर्वाचन आयोग ने जागर से मतदाताओं को जागरुक करने निश्चय किया है।
उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: 'जागर' यानी जाग्रत करना। पहाड़ में देवी-देवताओं को जाग्रत करने के लिए सदियों से जागर (गायन की लोक शैली) लगाने की परंपरा चली आ रही है। लेकिन, अब राज्य निर्वाचन आयोग ने भी जागर लगाकर मतदाताओं को जाग्रत करने की ठानी है। आयोग ने उत्तराखंडी लोक गायकों से गढ़वाली व कुमाऊंनी में अलग-अलग जागर तैयार करवाए हैं। गढ़वाली जागर को लोक गायक प्रीतम भरतवाण और कुमाऊंनी को लोक गायक हीरा सिंह बिष्ट ने स्वर दिए हैं। इन गीतों को पहाड़ में खासा पसंद किया जा रहा है।
लोकतंत्र के भाग्य विधाता कहे जाने वाले मतदाताओं को जाग्रत करने के लिए राज्य चुनाव आयोग ने पहली बार यह अनूठा तरीका निकाला है। कोशिश है कि जागर सुनकर मतदाता अपनी ताकत को पहचाने और लोकतंत्र के महायज्ञ में शत-प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करे। खास बात यह कि इन जागर गीतों को राज्य निर्वाचन अधिकारी मस्तू दास ने तैयार किया है।
पढ़ें: केदारनाथ में गाय के दूध से होगा बाबा का अभिषेक
एक जागर है, 'उत्तराखंड का जागरूक मतदाता, लोकतंत्र का भाग्य विधाता...।' इसमें आह्वान है कि जिन युवाओं की उम्र 1 जनवरी 2017 को 18 साल गई है, वे मतदाता सूची में अपना नाम लिखवाएं। इसके लिए वे बीएलओ के पास जाकर फार्म-6 भरें। जिनका सूची में नाम है, लेकिन अब जीवित नहीं हैं, उनका उनका नाम हटवाने के लिए फार्म-7 भरा जाए। इसके अलावा नाम सही कराने और तबादला होने पर नई जगह दर्ज कराने संबंधी जानकारियां भी जागर में हैं।
ऐसा ही एक अन्य गढ़वाली जागर है, 'वोटर लिस्ट मा नऊ लेखणौ कु अवसर फिर ऐगी...', जबकि कुमाऊंनी जागर है, 'वोटर लिस्ट मा नऊ लेखणौं कु बगत फिर ऐगु...।' दोनों का भाव एक ही है कि यह चुप बैठने नहीं, बल्कि जाग्रत होने का समय है। अपने भविष्य की खातिर। अपने प्रदेश की खातिर।
पढ़ें: आपदा पीड़ित महिलाएं बनाएंगी बदरी-केदार का प्रसाद!
उत्तरकाशी के सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी एसएल शाह बताते हैं कि सुव्यवस्थित मतदाता शिक्षा एवं निर्वाचन सहभागिता (स्वीप) कार्यक्रम के तहत इन गढ़वाली-कुमाऊंनी जागरों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। उत्तरकाशी शहर में नगर पालिका परिषद की ओर से अपने प्रचार वाहन में इन जागर गीतों को बजाया जा रहा है। आने वाले दिनों में तहसील, ब्लाक व ग्राम स्तर पर होने वाले कार्यक्रमों में भी जागरों के जरिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।