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गंगोत्री-ऋषिकेश राजमार्ग पर अब भूस्खलन का होगा प्राकृतिक उपचार

बीआरओ ने एनईईआरआइ के साथ मिलकर एक विशेष तकनीक का प्रयोग शुरू किया है। इसके जरिये पेड़-पौधों की जड़ों में जीवाणु मिलाकर उनकी जड़ों को बहुत ही कम समय में छह गुना बढ़ाया जाता है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 01 Jan 2017 04:23 PM (IST)Updated: Mon, 02 Jan 2017 07:00 AM (IST)
गंगोत्री-ऋषिकेश राजमार्ग पर अब भूस्खलन का होगा प्राकृतिक उपचार

उत्तरकाशी, [जेएनएन]: गंगोत्री-ऋषिकेश राजमार्ग पर भूस्खलन क्षेत्र काफी सक्रिय है। बरसात में तो स्थिति यह होती है कि ऋषिकेश से लेकर गंगोत्री तक 12 से अधिक भूस्खलन से कई घंटों तक हाईवे ही बाधित रहता है। इन भूस्खलन जोन में यात्रियों को भी जान जोखिम में डालनी पड़ती है। लेकिन, भूस्खलन रोकने के लिए अब बीआरओ तथा राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआइ) ने इकोलॉजीकल बायो इंजिनियरिंग के तहत भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में कार्य शुरू कर दिया है।

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सड़क को भूस्खलन से सुरक्षित रखने के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआइ) के साथ मिलकर एक विशेष प्रकार की तकनीक का प्रयोग शुरू किया है। इस तकनीकी इकोलॉजीकल बायो इंजिनियरिंग (ईबीए) कहते हैं। इस तकनीकी के जरिये क्षेत्र में पाए जाने वाले पेड़-पौधों की जड़ों में जीवाणु मिलाकर उनकी जड़ों को बहुत ही कम समय में पांच से छह गुना तक बढ़ाया जाता है। जिससे भूस्खलन को रोकने में मदद मिलती है।

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साथ ही साथ इस विधि से सड़क को हो रही क्षति को भी कम किया जा सकता है। इस विधि का उपयोग बीआरओ ने पहले चरण में गंगनानी के पास डीएम स्लिप के पास किया है। जहां यह प्रयोग सफल हो रहा है। इसके साथ रतूड़ी सेरा, चढ़ेथी, नैताला तथा गंनानी में भी बीआरओ भूस्खलन का प्राकृतिक उपचार करने जा रहा है। बीआरओ के कमांडर एससी लुनिया ने बताया कि इस विधि में इरीयोफोरम कोमोसम घास, वेटिवर घास, रिंगाल प्रजाति की घास, ऐगेव केन्टुला के पौधों का रोपण किया जा रहा है। रोपने से पहले इन पौधों के जड़ों पर जीवाणु का लेप लगाया जा रहा है।

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जिसकी इन जड़े कॉफी घनी एवं फैल जाती है और मिट्टी को मजबूती के साथ बांधे रखती है। राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान के डॉ. लाल ङ्क्षसह बताया कि यह विधि पानी से होने वाले कटान को रोकता है। इस विधि से पहाड़ी इलाकों की सड़कों की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है।

गंगोत्री हाईवे के प्रमुख भूस्खलन जोन

-गंगनानी, रतूड़ी सेरा, नैताला, चड़ेथी, लालढांग, बड़ेथी, नालूपानी, डीएम स्लिप, भटवाड़ी, हेलगू गाड़ आदि भूस्खलन जोन हैं।

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