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यहां कुदरती बने हैं रॉक गार्डन, देखकर हैरान हो जाएंगे आप

उत्तरकाशी की हर्षिल घाटी अपने में प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज है। यदि प्राकृतिक रॉक गार्डन का आनंद उठाना है तो यहां चले आइए। यहां प्रकृति ने जगह-जगह रॉक गार्डन की सौगात दी है।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 19 Jul 2017 04:10 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jul 2017 04:57 PM (IST)
यहां कुदरती बने हैं रॉक गार्डन, देखकर हैरान हो जाएंगे आप
यहां कुदरती बने हैं रॉक गार्डन, देखकर हैरान हो जाएंगे आप

उत्तरकाशी, [जेएनएन]: उत्तरकाशी की हर्षिल घाटी अपने में प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज है। यदि प्राकृतिक रॉक गार्डन का आनंद उठाना है तो यहां चले आइए। यहां प्रकृति ने जगह-जगह रॉक गार्डन की सौगात दी है।

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उत्तरकाशी की हर्षिल घाटी अपने अनूठे सौंदर्य के लिए पूरे उत्तराखंड में प्रसिद्ध है। यहां की हरी-भरी वादियां और शांत वातावरण यहां आने वाले लोगों को असीम आनंद की अनुभूति कराता है। खूबसूरती के लिए उत्तराखंड में मशहूर हर्षिल घाटी अब अपने रॉक गार्डन के लिए भी जानी जाएगी। हर्षिल को प्रकृति ने एक अनूठा वरदान दिया है। यहां कदम-कदम पर अपनी छटा बिखेरकर प्रकृति ने कुदरती रॉक गार्डन बनाए हैं। जो देखने में बेहद अद्भुत हैं।

प्रकृति की अनूठी कला हैं यहां के रॉक गार्डन

वैसे तो आपने कर्इ शहरों में रॉक गार्डन देखे होंगे, वो रॉक गार्डन जो इंसानों द्वारा निर्मित हैं। लेकिन हर्षिल आकर आप कर्इ ऐसे रॉक गार्डन्स का दीदार कर पाएंगे जो किसी इंसान ने नहीं, बल्कि कुदरत ने बनाए हैं। घने देवदारों के जंगलों के बीच बने यह रॉक गार्डन महसूस कराते हैं कि पत्थरों से भी जीवित कला की अनुभूति की जा सकती है। देवदारों की खूबसूरती और उसपर रॉक गार्डन के मनोरम दृश्य पर्यटकों को बरबस ही यहां खींच लाएंगे। 

दरअसल भारत-चीन युद्ध (1962) के बाद साढ़े पांच दशक तक हर्षिल घाटी इनर लाइन के दायरे में थी। इसके चलते पर्यटन गतिविधियां यहां फंख नहीं फैला पार्इ, लेकिन अब इनर लाइन से मुक्त होने के बाद उत्तराखंड के स्विटजरलैंड कहे जाने वाले हर्षिल में प्रकृति के खजाने खुलने लगे हैं। 

भागीरथी नदी के किनारे बसे हर्षिल में कदम-कदम पर सेब के बागीचों, ऊंचे पर्वतों, गहरी घाटियों, छोटी नदियों और सुंदर झरनों का दीदार होता है। जिनकी खूबसूरती में चार चांद लगाने का काम यहां जगह-जगह फैले रॉक गार्डन करते हैं। 

इनर लाइन मुक्त होने से बढ़ेंगे पर्यटन के अवसर

19 जून 2017 को हर्षिल घाटी इनर लाइन (आंतरिक रेखा) से मुक्त हुई है। इसके बाद यहां पर्यटन विकास की गतिविधियां बढ़ाने को लेकर भी कवायद शुरू हो गई है। पर्यटन विभाग हर्षिल, बगोरी और मुखबा गांव में होम स्टे की व्यवस्था करने जा रहा है। ताकि हर्षिल की खूबसूरती विदेशों तक पहुंच सके।

हर्षिल के नजारे होंगे प्रचारित

भाजपा नेता लोकेंद्र बिष्ट ने बताया कि हर्षिल को इनर लाइन से मुक्त करने के लिए उन्होंने कई प्रयास किए हैं और अब वो हर्षिल के प्राकृतिक नजारों को प्रचारित करने की दिशा में भी काम करने जा रहे हैं। देश में कई कृत्रिम रॉक गार्डन बने हैं, लेकिन यहां प्रकृति ने रॉक गार्डन को देवदार के जंगलों के बीच कदम-कदम पर बिखेरा हुआ है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में जिलाधिकारी से भी वार्ता की गर्इ है और हर्षिल में पर्यटन के लिए मूलभूत सुविधाओं को बढ़ावा देने की मांग उठाई है।

सरकारों को ध्यान देने की जरूरत

हर्षिल प्राकृतिक खजानों का धनी है। यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, बस जरूरत है तो इन्हें तराशने की। ऐसे में सरकारों को इस ओर ध्यान देना होगा, क्योंकि पर्यटन उत्तराखंड अपनी खूबसूरत पर्यटक स्थलों के लिए विश्व प्रसिद्ध है और पर्यटन ही यहां की आय का मुख्य स्त्रोत है।

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