उत्तरकाशी में सालभर से एकत्रित कूड़ा भागीरथी में समाया
गोमुख से निकलने वाली भागीरथी (गंगा) उत्तरकाशी में मैली हो गई है। हालिया दिनों में आए उफान से बरसाती नालों में जमा सैकड़ों टन कूड़ा सीधे भागीरथी में जा पहुंचा।
उत्तरकाशी, [जेएनएन]: गोमुख से निकलने वाली भागीरथी (गंगा) उत्तरकाशी में मैली हो गई है। हालिया दिनों में आए उफान से बरसाती नालों में जमा सैकड़ों टन कूड़ा सीधे भागीरथी में जा पहुंचा। उत्तरकाशी नगर पालिका के डंपिंग जोन तेखला नाले में एक साल के अंतराल में डाले गए करीब 1460 टन कूड़े का आधे से अधिक हिस्सा गंगा में जा पहुंचा है।
ऐसा नहीं कि इस स्थिति से प्रशासन और गंगा स्वच्छता की दुहाई देने वाली संस्थाएं वाकिफ नहीं हैं। लेकिन, हकीकत यह है कि यहां कोई गंगा स्वच्छता को गंभीरता से लेने को तैयार ही नहीं। जाहिर है इससे नमामि गंगे और गंगा स्वच्छता के राष्ट्रीय अभियान को पलीता लगा है।
उत्तरकाशी नगर पालिका के नौ वार्डों से चार से साढ़े चार टन कूड़ा रोजाना उठता है। इसकी डंपिंग तेखला नाले में होती है, जो बरसाती नाला है और भागीरथी से महज 150 मीटर दूर है। सालभर में इस नाले में करीब 1460 टन कूड़ा एकत्र होता है, लेकिन बीते एक सप्ताह के दौरान इस नाले में आए उफान से आधे से अधिक कूड़ा सीधे गंगा में समा गया।
इसी तरह की स्थिति उत्तरकाशी के जोशियाड़ा, लदाड़ी, कोटी और कंसेण गांव की भी है। यहां दो बरसाती नालों में सालभर कूड़ा डंप होता है। यहां तक कि विकास भवन के अधिकारियों के घरों से निकलने वाली गंदगी भी इन्हीं नालों में गिरती है। इन दिनों लदाड़ी व कंसेण से होकर गंगा में मिलने वाले ये बरसाती नाले सारी गंदगी गंगा में ले जा रहे हैं। बावजूद इसके गांव-शहर में स्वच्छता का दावा करने वाले प्रशासन, नगर पालिका, जिला पंचायत समेत तमाम संस्थाएं आंखों पर पट्टी बांधे हुए हैं।
डंपिंग ग्राउंड न होने से समस्या
जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी धर्मेंद्र सिंह रावत के मुताबिक जोशियाड़ा व लदाड़ी क्षेत्र से निकलने वाले कूड़े के लिए कोई डंपिंग ग्राउंड नहीं है। ऐसे में कूड़ा कहां डाला जाए, इस समस्या से उन्होंने सभी अधिकारियों को पहले ही अवगत करा दिया था।
बरसात के बाद होगा काम
नगर पालिका उत्तरकासी के अधिशासी अधिकारी सुशील कुमार कुरील के अनुसार पालिका क्षेत्र से रोजाना निकलने वाले चार से साढ़े चार टन कूड़े की डंपिंग तेखला नाले में होती है। अभी वहां कूड़ा निस्तारण के लिए संयंत्र नहीं लगा है। बरसाती पानी के बहाव से दीवारें टूट रही हैं। बरसात के बाद काम किया जाएगा।
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