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गंगोत्री धाम ग्रिड से जुड़ा, कपाट खुलने पर शुरू होगी बिजली आपूर्ति

गंगोत्री धाम को ग्रिड से जोड़ दिया गया है। गंगोत्री तक 11 किलोवाट की लाइन बिछाई जा चुकी है। ग्रिड से जुड़ने पर भैरव घाटी और आसपास के क्षेत्र भी लाभान्वित होंगे।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 27 Feb 2017 08:32 AM (IST)Updated: Tue, 28 Feb 2017 07:00 AM (IST)
गंगोत्री धाम ग्रिड से जुड़ा, कपाट खुलने पर शुरू होगी बिजली आपूर्ति
गंगोत्री धाम ग्रिड से जुड़ा, कपाट खुलने पर शुरू होगी बिजली आपूर्ति

उत्तरकाशी, [जेएनएन]: विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम को ग्रिड से जोड़ दिया गया है। कपाट खुलने पर ग्रिड के जरिये विद्युत आपूर्ति शुरू कर दी जाएगी। हर्षिल से गंगोत्री तक 40 लाख रुपये की लागत से 35 किलोमीटर लंबी लाइन बिछाने का कार्य पूरा हो चुका है। गंगोत्री अब तक बिजली के लिए उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) के दो प्रोजक्ट पर निर्भर था। अब इन दोनों परियोजनाओं से मिलने वाली बिजली भी ग्रिड को दी जाएगी।

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वर्ष 1992 में उरेडा ने पहली बार केदार गंगा नदी पर बीस किलोवाट क्षमता की परियोजना का निर्माण किया। तब इससे सिर्फ मंदिर को ही बिजली आपूर्ति की जाती थी। वर्ष 2008 में रुद्रगैरा नदी पर  150 किलोवाट क्षमता की परियोजना का निर्माण होने के बाद पूरी गंगोत्री जगमग हो गई। हालांकि गंगोत्री की मांग को यह परियोजनाएं भी पूरा नहीं कर पा रहीं थीं। 
दोनों परियोजनाओं से करीब 135 से 140 किलोवाट उत्पादन ही हो पा रहा है, जबकि मांग करीब 250 किलोवाट प्रतिदिन तक है। इसके अलावा सबसे बड़ी दिक्कत यह भी है कि बर्फबारी के वक्त परियोजनाओं को भारी नुकसान पहुंचता है और कपाट खुलने के बाद मरम्मत कार्य में खासा समय जाया होता है। कई बार इसमें एक माह से अधिक लग जाता है।
दरअसल, गंगोत्री में बिजली की आवश्यकता छह माह ही रहती है। कपाट बंद होने पर यहां रहने वाले व्यापारी और पंडा समाज के लोग अपने गांव लौट आते हैं। वर्तमान में यहां 200 उपभोक्ता हैं और लंबे समय से इनकी मांग थी कि गंगोत्री को ग्रिड से जोड़ा जाए। ऊर्जा निगम के अधिशासी अभियंता गौरव सकलानी ने बताया कि गंगोत्री तक 11 किलोवाट की लाइन बिछाई जा चुकी है।  ग्रिड से जुड़ने पर भैरव घाटी और आसपास के क्षेत्र भी लाभान्वित होंगे। 
पिछले वर्ष यमुनोत्री भी ग्रिड से जुड़ा
उर्जा निगम पिछले वर्ष यमुनोत्री धाम को भी ग्रिड से जोड़ चुका है। इसके बाद से यहां बिजली आपूर्ति सुचारु है। पहले यहां भी उरेडा की परियोजना से आपूर्ति की जा रही थी, लेकिन वर्ष 2013 की आपदा से ही यह परियोजना को जबदरदस्त नुकसान पहुंचा था। इसके बाद धाम में आपूर्ति सुचारु करने के लिए स्यानाचट्टी में एक सब स्टेशन स्थापित किया गया।

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