वन विभाग रोकेगा गंगा में भू कटाव, बनाई जाएगी वाटिका
गंगा को भू कटाव से बचाने, पर्यावरण मुक्त रखने के लिए वन विभाग ने कसरत शुरू कर दी। इसके तहत ग्रामीणों के सहयोग से गंगा किनारे वाटिकाएं तैयार की जाएगी।
उत्तरकाशी, [जेएनएन]: गंगा घाटी में 'नमामि गंगे' परियोजना को लेकर वन महकमे ने भी कवायद शुरू कर दी है। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के साथ ही गंगा के किनारे भूमि का कटाव रोकना इसका मुख्य ध्येय है। पहले चरण में उत्तरकाशी व हरिद्वार जिले का चयन इसके लिए हुआ है।
इसी कड़ी में शनिवार को उत्तरकाशी में नमामि गंगे परियोजना (उत्तराखंड) के मुख्य वन संरक्षक संतोष विजय शर्मा ने उत्तरकाशी व टिहरी डैम वन प्रभाग (द्वितीय) और भूमि संरक्षण वन प्रभाग उत्तरकाशी की बैठक ली। इस दौरान मुख्य वन संरक्षक ने बताया कि कैसे स्थानीय लोगों को वनीकरण से जोड़ने व गंगा वाटिका तैयार करने के साथ गंगा किनारे हो रहे कटाव को रोका जा सकता है।
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उत्तरकाशी के कोटबंगला में हुई बैठक में मुख्य वन संरक्षक शर्मा ने कहा कि उत्तरकाशी वन प्रभाग में 175 हेक्टेयर क्षेत्र में गंगा के किनारे वनीकरण किया जाना है।
इसी तरह टिहरी डैम वन प्रभाग (द्वितीय) व भूमि संरक्षण वन प्रभाग उत्तरकाशी के 100-100 हेक्टेयर क्षेत्र में वनीकरण प्रस्तावित है। इसके लिए वन अधिकारियों व कर्मचारियों को गंगा के किनारे पौधरोपण की तकनीक समझाई गई।
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उन्होंने बताया कि इसके तहत गंगा के किनारे पहले घास, फिर झाडिय़ों व औषधीय पौधों को रोपण और आखिर में ऊंचे वृक्षों के पौधे रोपे जाएंगे। इसके लिए मुख्य वन संरक्षक ने सभी वन प्रभागों की पौधशालाओं में तैयार पौध की स्थिति को भी जाना।
उन्होंने बताया कि इस योजना में जल्द धनराशि जारी होने वाली है। पहले चरण में उत्तरकाशी जिले के कुल 375 हेक्टेयर क्षेत्र में वनीकरण किया जाना है। साथ ही दो गंगा वाटिका भी तैयार होंगी।
बैठक में उत्तरकाशी वन प्रभाग के डीएफओ संदीप कुमार, टिहरी डैम वन प्रभाग (द्वितीय) के डीएफओ बीके सिंह, उप प्रभागीय वनाधिकारी आरबी सिंह व किशन लाल, रेंज अधिकारी बलवीर सिंह, नागेंद्र्र सिंह, बुद्धि सिंह राणा, नरोत्तम ङ्क्षसह रावत, मुकेश रतूड़ी आदि मौजूद थे।
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वनीकरण में इन प्रजातियों का होगा रोपण
घास: लोक घास, नेपियर, राई घास, गिनी घास
झाड़ी: ङ्क्षघगारू, किनगोड़ा, भैंकल, दाडि़म
ऊंचे पेड़: देवदार, रीठा, आंवला, कचनार, बांज, बांस
स्थानीय लोगों को जोड़ने के लिए खास योजना
'नमामि गंगे' परियोजना में स्थानीय लोगों को जोड़ने के लिए खास योजना तैयार की गई है। गंगा किनारे निजी भूमि पर पौध रोपण के लिए पहले वर्ष स्थानीय लोगों को प्रति पौध 150 रुपये दिए जाएंगे। एक वर्ष तक उस पौध की देखभाल के लिए 30 रुपये, दूसरे वर्ष 25 रुपये और तीसरे वर्ष 25 रुपये दिए जाएंगे। चौथे वर्ष 20 रुपये प्रति पेड़ के हिसाब से भुगतान होगा।
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उत्तरकाशी में बनेंगी दो गंगा वाटिका
'नमामि गंगे' के तहत उत्तरकाशी में पहले चरण में दो गंगा वाटिका तैयार की जानी है। पहली गंगा व असी गंगा के संगम स्थल गंगोरी में और दूसरी कोटबंगला के पास तैयार होगी। इस वाटिका में पीपल, रुद्राक्ष, बरगद आदि की पौध का रोपण होगा। परियोजना में उत्तरकाशी जिले की असी गंगा व भागीरथी नदी को लिया गया है। जबकि, पूरे प्रदेश में 11 नदियां शामिल हैं।
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