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सरकारी शिक्षा की असल तस्वीर, सात माह से अधूरा अंग्रेजी का पहला पाठ

उत्तरकाशी जिले में मोरी ब्लाक के राजकीय इंटर कालेज गड़ूगाड़ में अंग्रेजी का पहला पाठ सात माह में भी पूरा न हो सका। अर्धवार्षिक परीक्षाएं भी हो चुकी हैं।

By sunil negiEdited By: Published: Sun, 23 Oct 2016 09:44 AM (IST)Updated: Mon, 24 Oct 2016 05:00 AM (IST)
सरकारी शिक्षा की असल तस्वीर, सात माह से अधूरा अंग्रेजी का पहला पाठ

उत्तरकाशी, [राधाकृष्ण उनियाल]: उत्तरकाशी जिले में मोरी ब्लाक के राजकीय इंटर कालेज गड़ूगाड़ में अंग्रेजी का पहला पाठ सात माह में भी पूरा न हो सका। अर्धवार्षिक परीक्षाएं भी हो चुकी हैं, हालांकि अभी परिणाम की प्रतीक्षा है। ऐसा नहीं है कि यहां शिक्षकों की कमी है। छठी से कक्षा 12 तक स्कूल में कुल 380 बच्चे अध्ययनरत हैं और तैनात हैं 21 शिक्षक।

यह है सरकारी शिक्षा की असल तस्वीर। जर्जर भवन में मेज-कुर्सी तो छोड़िए बैठने के लिए बच्चों को टाट-पट्टी तक नसीब नहीं। जमीन पर बैठे छात्रों की नजर ब्लैक बोर्ड पर कम छत पर ज्यादा रहती है। यहां यदि मानके पूरे हैं तो बस छात्र-शिक्षक अनुपात के। प्रदेश में प्रति शिक्षक 40 छात्रों को आदर्श माना गया है, लेकिन इस स्कूल में यह प्रति शिक्षक 19 छात्र हैं।

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शायद सबकुछ अपनी गति से चलता रहता। यदि मोरी से दस किलोमीटर दूर स्थित पहाड़ के इस दूरस्थ स्कूल में पिछले गुरुवार को मोरी के उप जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह नेगी निरीक्षण को नहीं आते। एसडीएम यहां पहुंचे तो उनका स्वागत कैंपस में सूखते कपड़ों से हुआ। कक्षा में पहुंचे तो हालत देख वह भौचक रह गए। कक्षा नौवीं और दसवीं के बच्चों से बातचीत में जो सच सामने आया उसे सुन एसडीएम भी दंग रह गए।

आपबीती सुनाते हुए बच्चों ने बताया कि अंग्रेजी का अभी पहला पाठ भी पूरा नहीं हुआ है। एसडीएम ने बताया कि सत्र अप्रैल में शुरू हो चुका है और अभी तक एक पाठ पूरा न होना भी निराशाजनक है। बोले 'भगवान जाने बच्चों ने अर्धवार्षिक परीक्षा में क्या लिखा होगा।' उप जिलाधिकारी ने बताया कि मामले की पूरी रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी गई है। इसके साथ ही अंग्रेजी के शिक्षक के निलंबन और वेतन रोकने की संस्तुति भी कर दी है।

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दूसरी ओर स्कूल के प्रभारी प्रधानाचार्य हरीश चंद्र ने खामियों को स्वीकार करते हुए इसके लिए असंगत टाइम टेबिल को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि संस्कृत और अंग्रेजी का पीरियड एक है और कक्षा भी। ऐसे में दोनों शिक्षक असमंजस में रहते हैं। कभी अंग्रेजी की कक्षा लगती है तो कभी संस्कृत की। हरीश चंद्र के अनुसार विद्यालय में कुल नौ कमरे हैं, जिनमें से तीन नए हैं। तीन नए कमरों में से एक कक्ष प्रधानाचार्य का है और एक में आफिस है। शेष एक कमरे में क्लास लगती है। इसके अलावा पांच कमरों की स्थिति भयभीत करने वाली है।

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