गंगोत्री में भागीरथी नदी ने बदला रास्ता, बदले तेवर से धाम को खतरा
गंगोत्री धाम में भागीरथी के तेवर से उग्र हो गए हैं। नदी ने अपना ने रास्ता बदल दिया है। नदी अब उस भगीरथ शिला की ओर बढ़ रही है, जिससे वह करीब 25 फीट दूर बहा करती थी।
उत्तरकाशी, [शैलेन्द्र गोदियाल]: गंगोत्री धाम में भागीरथी ने रास्ता बदल दिया है। नदी अब उस भगीरथ शिला की ओर बढ़ रही है, जिससे वह करीब 25 फीट दूर बहा करती थी। गंगोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि 1996 में भी गंगा भगीरथ शिला छूने के बाद वापस लौट गई थी। लेकिन, गत 16-17 जुलाई को आए उफान के बाद नदी शिला के पास से ही बहने लगी है। इससे गंगोत्री मंदिर को खतरा बढ़ गया है।
गंगोत्री में एक माह पहले तक भागीरथी दूसरे किनारे पर मौनी बाबा आश्रम के कोने को छूती हुई गंगोत्री मंदिर के सामने श्रीकृष्ण आश्रम के पास से सूर्यकुंड की ओर बढ़ती थी। तब भगीरथ शिला घाट से गंगा का बहाव करीब 25 फीट दूर था। इसके अलावा नदी आरती स्थल से भी काफी दूर बह रही थी। लेकिन, बीती 16-17 जुलाई को हुई बारिश से आए उफान के बाद भागीरथी ने रास्ता ही बदल डाला।
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गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल बताते हैं कि वर्ष 1996 में भी भागीरथी में उफान आया था और वह भगीरथ शिला को छूकर बहने लगी थी लेकिन, उफान थमने पर फिर वह यहां से अपने नियत स्थान पर चली गई थी। इस बार ऐसा नहीं हुआ। अब गंगा वीआइपी घाट फुटपाथ के ऊपर से होकर आरती स्थल और भगीरथ शिला घाट की सीढ़ियों के पास बह रही है।
तीर्थ पुरोहित राजेश सेमवाल बताते हैं कि जहां नदी पहले बहती थी, वहां अब काफी मात्रा में गाद जमा हो गई है। नदी के बहाव के बदले स्वरूप से सिंचाई विभाग के गेस्ट हाउस से लेकर आरती स्थल, भगीरथ शिला व गंगोत्री मंदिर को भी खतरा बढ़ सकता है।
PICS: गोमुख ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटा
जुलाई में ये दिखे बदलाव
-दो जुलाई को गोमुख ग्लेशियर टूटने से भारी मात्रा में गंगोत्री तक पहुंचे उसके टुकड़े
-16 जुलाई को भागीरथी में उफान आने से भगीरथ शिला तक पहुंचा जलस्तर, वर्ष 1994 के बाद आई यह स्थिति।
-अब गंगा भगीरथ शिला घाट की सीढ़ियों से होकर बह रही है।
गंगोत्री में भागीरथी के बहाव का स्वरूप बदला है। पहले नदी बायीं ओर बहती थी। लेकिन, अब वीआइपी घाट के ऊपर से होते हुए बह रही है। जहां नदी पहले बह रही थी, वहां बहुत अधिक मात्रा में गाद आ चुकी है। गाद को हटाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
-पीएस पंवार, ईई सिंचाई विभाग, उत्तरकाशी
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