इस गांव के लोगों ने तो उगा दिया पूरा जंगल, जानिए
टिहरी जिले का एक गांव पर्यावरण संरक्षण की अलख जगा रहा है। ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास से पांच दशक पूर्व दस हेक्टेयर वन भूमि पर पूरा का पूरा जंगल उगा दिया है।
उत्तरकाशी, [दीपक श्रीयाल]: टिहरी जिले में भिलंगना विकासखंड की गोनगढ़ पट्टी की घैरका ग्राम पंचायत पर्यावरण एवं जल संरक्षण के क्षेत्र में मिसाल बन गई है। यहां ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास से पांच दशक पूर्व दस हेक्टेयर वन भूमि पर लगाए गए बांज और अन्य प्रजाति के पौधे आज घने जंगल में तब्दील हो चुके हैं।
साथ ही कई जगह प्राकृतिक जल स्रोत भी फूट गए हैं। अब ग्रामीणों को न तो पशुओं के चारे की चिंता है न पानी की। जंगल के संरक्षण को ग्रामीणों ने समिति गठित की है। जंगल की देखरेख के लिए गांव के दो बेरोजगार लोगों को रोजगार से जोड़ा गया है।
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गोनगढ़ पट्टी के इस गांव में वर्तमान में 70 परिवार रहते हैं, जिनकी आबादी 800 के आसपास होगी। यहां के अधिकांश ग्रामीण आजीविका के लिए खेती और पशुपालन पर निर्भर हैं। आज से पांच दशक पूर्व क्षेत्र के जंगल में आग लगने से ग्रामीणों के समक्ष चारे का भारी संकट पैदा हो गया था। ऐसे में गांव के कुछ लोगों ने गांव के पास वन भूमि पर बांज के पेड़ लगाने का संकल्प लिया।
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उन्हीं की मेहनत और लगन का परिणाम है कि आज यहां बांज सहित अन्य प्रजातियों का जंगल लहलहा रहा है। इससे ग्रामीणों की कई जरूरतें भी पूरी होती हैं। जंगल की रक्षा के लिए ग्रामीणों ने वन संरक्षण समिति का गठन किया है, जिसने दो लोगों दिनेश व पूरण सिंह को जंगल के देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी है।
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उन्हें मानदेय के नाम पर 300 रुपये और चार-चार किलो धान व गेहूं प्रतिमाह दिए जाते हैं। दोनों पूरे क्षेत्र का भ्रमण कर जंगल से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी समिति को देते हैं। अक्टूबर से फरवरी तक पांच माह के लिए यह जंगल ग्रामीणों के लिए खोल दिया जाता है। ताकि लोग पशुओं के लिए घास-चारा जुटा सकें। जंगल के संरक्षित रहने से कई स्थानों पर जलस्रोत फूट गए हैं। इससे ग्रामीणों की पानी की जरूरत भी पूरी हो रही है।
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जंगल गांव के लिए वरदान साबित हो रहे हैं
ग्राम पंचायत घैरका की प्रधान सोवनी देवी का कहना है कि पचास वर्ष पूर्व उगाया गया बांज का जंगल गांव के लिए वरदान साबित हो रहा है। इससे लोगों को घास-चारे के लिए अन्य जंगलों की ओर नहीं ताकना पड़ता। अन्य गांवों के लोगों के भी इसी प्रकार से वन संरक्षण का कार्य करना चाहिए।
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